श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 04

सूत्र -03

Description

पुण्य के फल से आत्मा सुखी भी होता हैपुण्य और पाप क्या है? पुनाती आत्मानं इति पुण्यं। पुण्यानुबंधी और पापानुबंधी पुण्यकर्म का फल निदान और निर्जरा भाव के अनुसारपुण्य रूपी संपदा भावों से आती हैसिद्धांत में शुभ और अशुभ दो ही चीजें हैमोक्ष का प्रयोजन ही शुभ प्रयोजन कहलाता है           

Sutra

शुभ: पुण्यस्याशुभ: पापस्य।।6.3।। 

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WINNERS Day 04

3rd Aug,

2023

Dinesh Chand Jain

Alwar Rajasthan

WINNER-1


Ashvini Jivankumar Jain

औरंगाबाद

WINNER-2


Aneeta Jain

New delhi

WINNER-3


Sawal (Quiz Question)

पुण्य किसको पवित्र करता है?

Abhyas (Practice Paper):

https://forms.gle/6vtp2Skk2L4ombZ66 

Summary




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