श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 01
सूत्र - 01
Description
तत्त्वार्थ सूत्र ग्रन्थ के रचयिता कौन? गृद्ध पिच्छाचार्य और उमा स्वामी आचार्य ये दोनों अलग-अलग हैं कि एक ही हैं? आत्मा का हित किसमें है? सूत्र में मोक्ष मार्ग बताया जा रहा है। जैन दर्शन में अन्य दर्शनों की अपेक्षा से क्या विशेषता है? हर जीव क्या चाहता है?
Sutra
सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्राणि मोक्षमार्ग:।l1.1ll
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WINNERS
Day 01
08th Feb, 2022
श्रीमती ऋतु जैन
इंदौर
WINNER-1
निशा जैन
दिल्ली
WINNER-2
अभिनय जैन(संभव)
आगरा
WINNER-3
Sawal (Quiz Question)
पूर्व आचार्यों ने मुख्यतः तत्त्वार्थ सूत्र का रचयिता किनको माना है?
1. गृद्धपिच्छाचार्य *
2. श्वेतपिच्छाचार्य
3. मयूरपिच्छाचार्य
4. श्वेतमयूरपिच्छाचार्य
Summary
तत्त्वार्थ सूत्र को मोक्ष शास्त्र भी कहते हैं
इसमें १० अध्याय और 357 सूत्र हैं
इसके रचयिता गृद्धपिच्छ आचार्य उमास्वामी हैं
इतिहास से यह सिद्ध है कि गृद्ध पिच्छाचार्य और उमा स्वामी महाराज एक ही हैं।
हमने जाना कि तत्त्वार्थ सूत्र की रचना किसी भव्य जीव की पृच्छना के कारण से हुई
आचार्य पूज्यपाद महाराज विरचित सर्वार्थसिद्धि ग्रन्थ इसकी पहली टीका है
प्रथम अध्याय का प्रथम सूत्र है - सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्राणि मोक्षमार्ग:
अर्थात सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यग्चारित्र तीनों से मिलकर मोक्ष का मार्ग बनता है।
हमने समझा कि अलग अलग मतों में मोक्ष की मान्यता तो है पर वहाँ पहुँचने के रास्ते के बारे में विसंवाद है
इसीलिये आचार्य महाराज ने मोक्ष से पहले मोक्षमार्ग की प्ररूपणा की है
सभी मतों ने ये तो माना है कि मोक्ष में सुख है पर सबका मोक्ष अलग अलग है जैसे
बौद्ध मत में आत्मा के अभाव का नाम मोक्ष माना जाता है
सांख्य मत में ज्ञान के अभाव का नाम मोक्ष है।
वैशेषिक दर्शन में आत्मा के नौ विशेष गुणों के अभाव का नाम मोक्ष है यानि आत्मा में बुध्दि नहीं रहती
जैन मत में मोक्ष में आत्मा के गुणों में उत्कृष्टता आ जाती है।
ज्ञान केवलज्ञान बन जाता है, सुख अनन्त सुख के रूप में हो जाता है।
कक्षा के अंत में हमने समझा कि जीव कुल मिलाकर सुख चाहता है और सुख भी कैसा? उसमें दुःख न हो।