श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 20

सूत्र - 33

Description

विज्ञान अद्वैतवाद क्या है? अज्ञान का नाश नयों का ज्ञान नैगमनय का मतलब? नैगम नय के भेद संग्रह नय का मतलब?

Sutra

नैगमसंग्रहव्यवहारर्जुसूत्रशब्दसमभिरूढैवंभूतानयाः ।।1.33।।

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WINNERS

Day 20

21st March, 2022

निशा जैन

धमतरी

WINNER-1

Parul Jain

AMBALA

WINNER-2

Apurv Jain

Manasa

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

हमारे अतीत में कोई चीज हुई है और वही चीज हम आज कर रहे हैं, जैसे-दीपावली पर भगवान महावीर का मोक्ष लाडू चढ़ाना। - यह कौनसा नय है?

  1. भूत नैगम नय *

  2. वर्तमान नैगम नय

  3. भावी नैगम नय

  4. व्यवहार नैगम नय


Abhyas (Practice Paper) : https://forms.gle/V2b3YbnLEDs7Abv68

Summary


  1. आज हमने जाना कि ज्ञान का फल कथंचित भेद रूप है और कथंचित अभेद रूप

  2. कारण विपर्यास और भेदाभेद विपर्यास के बाद तीसरा विपर्यास है -

    • स्वरूप विपर्यास अर्थात वस्तु के स्वरूप के विषय में विपरीत मान्यता

    • जैसे विज्ञान अद्वैतवाद का मानना है कि ज्ञेय कुछ भी नहीं है, ज्ञान ही सब कुछ है

    • किन्तु ज्ञान बिना ज्ञेय के नहीं होता

    • अद्वैत का मतलब है कि दो नहीं है, एक ही चीज है

    • ऐसे ही ब्रह्म अद्वैतवादी मानते हैं कि एक ब्रह्म ही है; उसके अलावा कुछ नहीं है


  1. ऐसी मिथ्या श्रद्धा के कारण से ये मिथ्या ज्ञान कहलाते हैं

  1. अज्ञान का नाश होने पर ही राग-द्वेष का नाश सम्भव है

  2. जो जीव विपर्यासों के साथ जीते हैं उनके अंदर मिथ्यात्व के कारण से विपरीतता आ जाती है

  1. सूत्र-३३ में हमने नयों के बारे में जाना

  1. प्रथम अध्याय में मोक्षमार्ग बताने के बाद सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान पर चर्चा हुई

    • सम्यग्ज्ञान में हमने जाना कि “प्रमाण नयै रधिगम:

    • वस्तु को प्रमाण और नय दोनों से जानने से ही अधिगम अर्थात सम्यग्ज्ञान होता है

    • अतः यह अध्याय हमें ज्ञान को सम्यक् बनाने के लिए सम्यग्दर्शन पर ध्यान देने और तत्त्व निर्णय करने के लिए प्रेरित करता है


  1. हमने जाना पूर्ण वस्तु का ज्ञान प्रमाण कहलाता है

  2. और वस्तु के किसी एक अंश को ग्रहण करके, उसके किसी एक गुण धर्म को जानना नय ज्ञान कहलाता है

  1. पहला नय है ‘नैगम नय’

    • नैगम अर्थात संकल्प

    • इसमें अपने मन में संकल्प करके वस्तु में वे संकल्पित गुण मानकर कथन करते हैं


  1. भूत नैगम नय में past में हुई चीजों को वर्तमान में संकल्प करके करते हैं जैसे भगवान महावीर के लिए दीपावली पर मोक्ष लाडू चढ़ाना

  2. भावी नैगम नय में जो भविष्य में होगा उसको पहले से ही कह देते हैं जैसे हम दिल्ली जा रहे हैं जबकि हम अभी तैयार हो रहे थे

  3. वर्तमान नैगम नय में कोई भी वस्तु बन गई है या अधूरी है उसको पूरा मान कर कहना जैसे भात अभी अंगीठी पर है मगर संकल्प के वश से कहना कि यह भात है

  1. हमने समझा कि संग्रह नय में सब वस्तुओं का एक साथ संग्रह करके कहते हैं

    • जैसे दुनिया में द्रव्य


  1. तो व्यवहार नय में संग्रह में व्यवहार अर्थात भेद करते हैं

    • जैसे द्रव्य के भेद हैं जीव और अजीव

    • इसी तरह जीव के भेद हैं संसारी और मुक्त

    • ऐसे ही जब तक भेद सम्भव हो तब तक व्यवहार नय चलेगा