श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 41

सूत्र -25,26,27

Description

पूरे लोक की ऊँचाई कितनी है जानि l जीव का एक गति से दूसरी गति में गमन l जीव linear position में ही जायेगा l जीव गमन श्रेणी में ही चलता है l अविग्रह गति का मतलब l अविग्रह गति किस जीव की होती है? अविग्रह गति बिलकुल सीधी होती है l अविग्रहगति एक समय में पूरी होती है l जो गति हो रही है वह उस द्रव्य पर निर्भर है समय में अन्तर नहीं है l जीव की भी गति होती है और पुद्गल की भी l यह नियम सिर्फ विग्रहगति के लिए है l

Sutra

विग्रहगतौ कर्मयोग:।l२५।l

अनुश्रेणी गतिः।l२६।l

अविग्रहा जीवस्य।l२७।l

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WINNERS

Day 41

23st June, 2022

Manju Jain

Delhi

WIINNER- 1

Pallavi Sangai

Anjangoan Surji

WINNER-2

Sunita Mardia

Chennai

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

एक समय में एक जीव अधिकतम कितनी गति कर सकता है?

  1. एक योजन

  2. एक राजू

  3. सात राजू

  4. चौदह राजू *

Abhyas (Practice Paper):

Summary


  1. वर्तमान प्रकरण में हम जीव के मरण और जन्म के बीच की अवस्था - विग्रहगति को सिद्धांततः समझ रहे हैं

  2. विग्रहगति में जीव जैसे plane की line invisible होती हैं, उसी तरीके से एक गति से दूसरी गति में श्रेणी के अनुसार जाता है

    • चौदह राजू ऊँचे इस तीन लोक के मध्य से ऊपर और नीचे तनुवात वलय तक सात राजू की श्रेणी होती है

    • लोक के मध्य भाग से चारों ओर, पूरे आकाश में ये श्रेणियाँ horizontal या vertical lines के रूप होती हैं

    • ये टेढ़ी-मेढी नहीं होती हैं

    • इन्हीं श्रेणियों के अनुसार ही जीव सीधा गमन करता है


  1. श्रेणियों में जीव का बहुत सारा traffic आस-पास से भी गुजर रहा है लेकिन हमें पता नहीं है

  2. कितने ही जीव ऐसे हैं, जिनकी आयु अन्तर्मुहूर्त है, वे तो हमेशा हर अन्तर-अन्तर्मुहूर्त में मर रहे हैं और श्रेणी पर गमन कर रहे हैं

  3. सूत्र 27 में हमने अविग्रह गति का समझा

  4. विग्रह मतलब शरीर है, तो अविग्रह मतलब शरीर से रहित

  5. अविग्रह गति बिलकुल सीधी होती है उसमें कहीं पर भी turn या मोड़ा नहीं होगा

  6. जो सिद्ध जीव होते हैं उनकी गति नियम से अविग्रह होती है

  7. इसे ऋजुगति भी बोलते हैं

  8. मुक्त जीव आयु पूर्ण होने पर, उसी जगह से सीधा समान्तर ऊपर की ओर श्रेणी से गमन करके लोक के अन्तर्भाग पर जाकर के तनुवात वलय में विराजमान हो जाते हैं

  9. सीधे जाने वाले संसारी जीव भी होते हैं

  10. अविग्रह गति में संसारी जीव चौदह राजू एक समय में नाप सकता है

  11. समय- काल की सबसे सूक्ष्मतम इकाई, जिसका हम अनुमान भी नहीं लगा सकते

  12. इस इकाई का कोई fraction या विभाजन नहीं है

  13. किसी भी दूरी को तय करने में जीव को एक ही समय लगेगा

    • चाहे वो मध्यलोक से सात राजू तय कर ऊर्ध्वलोक में जन्म लेने जाये

    • या केवल एक राजू दूर जन्म ले

    • या एक योजन दूर जन्म ले


  1. एक समय में जो गति हो रही है वह द्रव्य की योग्यता पर निर्भर है, समय में अन्तर नहीं है

  2. हमने जाना कि जीव की जो गति होती है वह पुद्गल की भी होती है

    • एक परमाणु बिल्कुल अधोस्थान से उर्ध्वस्थान के अन्तिम भाग तक एक समय में चौदह राजू तक जा सकता है


  1. यह नियम सिर्फ विग्रहगति के लिए है

  2. विद्याधर, सूर्य, चन्द्रमा आदि की गति के लिए यह नियम नहीं है