श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 25

सूत्र - 20

Description

संसारी जीव को मिलने वाला सुख पुद्गल द्रव्य का उपकार हैसुख किसे कहते है? अंतरंग और बाह्य दोनों कारणों के मिलने पर सुख की प्राप्‍ति होती हैअंतरंग और बाह्य दोनों ही कारण पौद्गलिक हैदुःख भी पुद्गल का उपकार हैशरीर, मन, वचन आदि की अनुकूलता सुख है, प्रतिकूलता दुःख हैदुःख पुद्गल का उपकार है, कैसे? द्रव्‍य संग्रह ग्रन्‍थ में सुख-दुःख का वर्णनशरीर, वचन, मन सब 'पर' हैं मन पौद्गलिक है, मानसिक सुख पराश्रित हैसंसारिक सुख और दुःख पराश्रित है वचन भी पराश्रित हैहमारी soul (आत्मा) और मन दोनों का function भिन्न-भिन्न है मन को 'स्व' से भिन्न मानना भेद-विज्ञान हैप्राणापान भी पुद्गल का उपकार है सुख प्राप्ति का बाहरी कारण हमारे आस-पास की अनुकूल सामग्रीसुख का भीतरी कारण सातावेदनीय कर्म का उदय                                    

Sutra

सुख-दुःख-जीवित-मरणोपग्रहाश्च॥5.20॥ 

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WINNERS

Day 25

05st May, 2023

Ankita Jain

Jaipur

WINNER-1

Manju Jain

ALWAR

WINNER-2

Anupama

Dombivli

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

निम्न में से सुख प्राप्ति का अंतरंग कारण क्या है?

Abhyas (Practice Paper):

https://forms.gle/1o5dBeTBqPTit34T6 

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