श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 30

सूत्र -25,26,27

Description

 आत्म प्रशंसा भी परिणाम स्वरूप नीच गोत्र के आस्रव का कारण है स्वयं के गुणों को ढाकना पर-के गुणों को प्रकाशित करना उच्च गोत्र के आस्रव का कारण है अन्तराय कर्म के आस्रव का कारण

Sutra

परात्म-निन्दा-प्रशंसे सदसद्-गुणोच्छादनोद् भावने च नीचै र्गोत्रस्य।।25।।

तद्विपर्ययो नीचैर्वृत्त्यनुत्सेकौ चोत्तरस्य।।26।। 

विघ्नकरणमन्तरायस्य।।27।।

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WINNERS Day 30

09th Oct 2023

Priyanka Prashant Shah

Pune

WINNER-1

Mahima Jain

Delhi

WINNER-2

Monika Jain

Delhi

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

बड़ों के या अपने गुरुजनों के सामने अपने गुणों का बखान नहीं करना या अपनी बात बताने में बहुत ज्यादा उत्सुक नहीं होना क्या होता है?

Abhyas (Practice Paper)

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