श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 03

सूत्र - 1,2,3

Description

औपशमिक भाव सादि सान्त हैक्षायिक भाव सादि अनन्त होता हैक्षयोपशम भाव भी सादि सान्त हैऔदयिक भाव भी सादि सान्त हुआपारिणामिक भाव का मतलब अनादि अनन्त हैपरिणामिक भाव अनादि काल से हैं, अनन्त काल तक रहेंगेऔपशमिक भाव सम्यक्त्व और चारित्र से ही सम्बन्ध रखते हैंसम्यक्त्व और चारित्र हमारा आत्मा का भाव हैउपशम सम्बन्धी दो भाव होते हैं

Sutra

औपशमिकक्षायिकौ भावौ मिश्रश्च जीवस्य स्वतत्त्वमौदयिकपारिणामिकौ च।l1ll

द्वि-नवाष्टा-दशैक-विंशति-त्रि-भेदा यथाक्रमम्।l2।l

सम्यक्त्व-चारित्रे।l3।l

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WINNERS

Day 03

11th Apr, 2022

Usha Jain

Meerut

WIINNER- 1

नलिनी गोरे

अकोला महाराष्ट्र

WINNER-2

Dharm Chand Jain

Beawar

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

निम्न में से कौन सा भाव है जिसकी beginning(आदि) है परन्तु end(अंत) नहीं।

  1. मिश्र भाव

  2. क्षायिक भाव *

  3. औपशमिक भाव

  4. पारिणामिक भाव


Abhyas (Practice Paper):

Summary


  1. हमने अलग-अलग भावों के काल के बारे में जाना:

    • अनादि-अनन्त: अर्थात जिसकी न शुरुआत है, न कोई अन्त है। जो भाव सदा से रहे हों और सदा रहेंगे जैसे पारिणामिक भाव - ये कर्मों से निरपेक्ष हैं अतः ये कर्मों से independent हैं

    • अनादि-सान्त: अर्थात जो अनादि काल से तो आ रहे हैं लेकिन हम उनका अन्त कर सकते हैं

    • सादि-सान्त: अर्थात जो उत्पन्न होते हैं और अंत को प्राप्त होते हैं जैसे औपशमिक भाव। उपशम सम्यग्दर्शन उत्पन्न होने के अन्तर्मुहूर्त पश्चात् अन्त हो गया

    • सादि-अनन्त: अर्थात जिनकी अगर हमने शुरुआत कर ली तो कभी उनका अन्त नहीं होगा। जैसे- क्षायिक भाव। किसी कर्म का क्षय करने से क्षायिक भाव सादि हो गया मगर अब वह अनन्त काल तक बना रहेगा


  1. क्षयोपशमिक और औदयिक भाव भी सादि सान्त होते हैं क्योंकि

    • क्षयोपशम भी बनते-बिगड़ते रहते हैं। किसी कर्म का क्षयोपशम आज नहीं है, कल हो गया, एक गति में है, दूसरी गति में नहीं है

    • औदयिक-भाव भी कर्म के उदय से हो रहा है। जब तक कर्म का उदय रहेगा तब तक रहेगा, बाद में वह भी नष्ट हो जाएगा


  1. हमने स्व-भाव और स्वभाव के अंतर को भी जाना

  2. पाँचों ही भाव जीव के स्व-तत्त्व हैं अर्थात स्व-भाव है, ऐसे भाव हैं जो जीव के अपने भाव हैं, जीव में होते हैं

  3. लेकिन सभी भाव जीव के वास्तविक स्वभाव नहीं हैं, उसके innate nature नहीं हैं

  4. जो भाव अनादि-अनन्त हैं, वे हमारे स्व-भाव और स्वभाव हैं जैसे पारिणामिक-भाव

  5. मगर जो भाव अनादि-अनन्त नहीं है लेकिन फिर भी वह हमारे अन्दर अनादि काल से हैं, ऐसे भाव हमारे लिए स्व-भाव होकर के भी वह हमारे स्वभाव नहीं हैं। जैसे कि औदयिक-भाव

    • यह हमारे लिए अच्छे नहीं है क्योंकि उनके उदय में हम उन भावों को अपना स्वभाव मन लेते हैं जैसे- मनुष्य गति में अपने को मनुष्य मन लेना

    • ये विभाव होते हुए भी हमारे स्वभाव बन गए हैं


  1. औपशमिक आदि भाव से मोक्षमार्ग की शुरुआत होती है इसलिए ये हमारे लिए अच्छे हैं

  1. सूत्र 3 में हमने भावों के भेदों को जाना

    • औपशमिक के 2 प्रकार

    • क्षायिक के 9 प्रकार

    • मिश्र या क्षायोपशमिक के 18 प्रकार

    • औदयिक के 21 प्रकार

    • और पारिणामिक के 3 प्रकार होते हैं


  1. सूत्र 3 सम्यक्त्व-चारित्रे में हमने जाना कि औपशमिक-भाव सम्यक्त्व और चारित्र से सम्बन्ध रखता है