श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 27


सूत्र -25,26

Description

लौकान्तिक देव कौन बनता हैं? लौकान्तिक देवों को देवर्षि, ब्रह्मर्षि आदि उपाधियाँ प्राप्त हैंलौकान्तिक देव द्वादशांग के ज्ञाता होते हैंलौकान्तिक देवों की द्रव्य और भाव लेश्याएँ शुक्ल ही होती हैंलौकान्तिक देव तीर्थंकर भगवान के वैराग्य की अनुमोदना करने के लिए मध्य लोक में आते हैंलौकान्तिक देवों द्वारा तीर्थंकरों के वैराग्य की अनुमोदनालौकान्तिक देवों के बहुत ही शान्त परिणाम होते हैंसौधर्म इन्द्र आदि एक भवावतारी जीव और लौकान्तिक देव, दोनों के क्रियाकलापों में बहुत अन्तर होता हैसूत्र में आए 'च' शब्द के दो अभिप्रायद्वि चरम शरीरी देवों का वर्णनउपरोक्त तीन सूत्र में एक तथा दो भवावतारी वैमानिक देवों का वर्णन किया गया हैंयहाँ द्विचरम भव, मनुष्य भव की अपेक्षा कहे गए हैलगातार दो बार विजयादिक में (बीच में एक मनुष्य भव के साथ) उत्पन्न होने पर ही द्विचरम भव की नियामकता बनती हैद्विचरम भव का नियम केवल विजयादिक चार अनुत्तर विमानवासी और नौ अनुदिश विमानवासी देवों के लिए हैं, ग्रैवेयक वासी देवों के लिए नहींअनुदिश और अनुत्तर विमानों में सम्यग्दृष्टि जीव ही उत्पन्न होते हैंएक भवावतारी अथवा दो भवावतारी देवों के अतिरिक्त अन्य देवों के भवों के सम्बन्ध में कोई नियम नहीं हैएक बार सम्यग्दर्शन होने के बाद अधिक से अधिक अर्ध पुद्गल परावर्तन काल तक जीव संसार में रह सकता हैएक भवावतारी जीवों का कथन करने वाली गाथागाथा में आए जीवों के अलावा अन्य किसी का एक भवावतारी होने का नियम नहीं है सर्वार्थसिद्धि विमान के देवों के लिए एक भवावतारी होने का नियम हैं देव पुनः देव और नारकी पुनः नारकी नहीं बनता, इसलिए देव या नारकी के लगातार दो भवों की गणना में बीच का एक मनुष्य या तिर्यञ्च भव शामिल होता हैआगे के सूत्रों का विषय

Sutra

सारस्वता-दित्य-वह्न्यरुण-गर्दतोय-तुषि-ताव्याबाधा-रिष्टाश्च ॥25॥ 

विजयादिषु द्विचरमाः ॥26॥

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WINNERS 

Day 27

30th Jan, 2023

Kamlesh Jain

Shivpuri

WINNER-1

Rekha Jain

Delhi

WINNER-2

Kusum Jain

Vaishali

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

निम्न में से कौन द्वि चरम भव वाले हैं?

Abhyas (Practice Paper):

https://forms.gle/KV1rdzGFr9skrgvE8 

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