श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 07

सूत्र - 11

Description

व्यन्तर देवों के भेद बताने वाला सूत्रनारकियों का निवास एवम् अधोलोक में आधारदेवों का निवास तीनों लोकों में होने से उनका वर्णन लोक के माध्यम से नहीं कियाचौथे अध्याय में तीसरे अध्याय से नारकियों की अपेक्षा अलग प्रकार से देवों के विषय में वर्णन हैनारकियों के समान पृथ्वियों का वर्णन यहाँ नहीं किया गयाभवनवासी और व्यन्तर देवों का वर्णन तीसरे अध्याय में पृथ्वी की अपेक्षा से हो चुका हैसूत्रकारों की विशेषता होती है कि वे एक बात को दोहराते नहीं हैं भवनवासी के बाद व्यन्तर देवों का वर्णन हैसूत्र लेखन शैली का पूर्वापर तुलनात्मक अध्ययनचौथे अध्याय में जिस शैली का प्रयोग किया उस पर विचारसूत्र लिखने की पद्धति टीका में नहीं मिलेगीअलग-अलग अध्याय की शैली अलग हैव्यन्तर देवों के भेदव्यन्तर देवों के आठों भेदों के दो-दो इन्द्रों के नामकिन्नर जातिकिन्नर जाति के इन्द्रों के नामकिन्नर का अर्थवर्तमान किन्नर से साम्य हैं किन्नर देवकिन्नर मतलब अच्छे मनुष्य नहीं हैकिम्पुरुष जाति के इन्द्रों के नाममहोरग का अर्थ

Sutra

व्यन्तराः किन्नर-किंपुरुष-महोरग-गन्धर्व-यक्ष-राक्षस-भूत-पिशाचाः॥11॥

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WINNERS

Day 07

21th Dec, 2022

Pista jain

Bhindar

WINNER-1


Santosh Jakheria

Vidisha MP

WINNER-2


Shakuntala Ajmera

Nashik

WINNER-3


Sawal (Quiz Question)

निम्न में से कौनसा नाम किम्पुरुष जाति के इन्द्र का है?

  1. किन्नर

  2. किम्पुरुष

  3. सत्पुरुष*

  4. महोरग

Abhyas (Practice Paper):

https://forms.gle/7FUYGM8prjumw7V77

Summary


  1. सूत्र ग्यारह व्यन्तराः किन्नर-किंपुरुष-महोरग-गन्धर्व-यक्ष-राक्षस-भूत-पिशाचाः से हमने व्यंतर देवों के आठ भेदों को जाना

  2. नारकियों का वर्णन करते समय आचार्य ने पहले उनके आधार, पृथ्वियों का वर्णन किया

    • लेकिन देवों के वर्णन में उन्होंने लोक का आश्रय नहीं लिया

    • क्योंकि देव तो तीनों लोकों में होते हैं

    • और मुख्यतः वैमानिक और ज्योतिषी देव तो विमानों में रहते हैं जिसके लिए किसी भूमि की आवश्यकता नहीं होती

    • भवनवासी और व्यन्तर देव अधोलोक और मध्यलोक में रहते हैं

    • और इनका वर्णन तीसरे अध्याय में पृथ्वी की अपेक्षा से हो चुका है


  1. हमने सूत्रकार द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले दो सिद्धांतों को भी समझा

    • पहली पद्धति में दूसरारे अध्याय में पहले पाँच भावों के नाम लिखे, फिर संख्या लिखी और फिर भेदों का खुलासा किया

    • दूसरी पद्धति में चौथे अध्याय के सूत्र एक में पहले देवों के चार निकाय बताए,

      1. फिर सूत्र तीन में उनके भेदों की संख्या और

      2. उसके बाद एक-एक का नाम लेकर उनके भेद बता रहे हैं

  2. सूत्रकार आचार्य शब्दों को बार-बार दोहराते नहीं हैं

  3. सूत्र ग्रंथ लिखने की पद्धति टीका ग्रंथों में नहीं मिलती

  4. हमें विचार करना चाहिए कि आचार्यों ने किस-किस तरह की शैली का प्रयोग कहाँ-कहाँ पर किया है?

    • अलग-अलग अध्याय की शैली अलग-अलग है


  1. इस सूत्र में व्यन्तर देवों का वर्णन क्रमबद्ध तरीके से किया गया है

  2. इसमें पूर्व के सूत्र "पूर्वयोर्द्वीन्द्रा:" और सूत्र "दशाष्टपञ्चद्वादशविकल्पाः" का भी एक साथ उपयोग करना है

  3. व्यन्तर देवों के आठ भेद हैं

    • किन्नर,

    • किम्पुरुष,

    • महोरग,

    • गन्धर्व,

    • यक्ष,

    • राक्षस,

    • भूत और

    • पिशाच

  4. पूर्वयोर्द्वीन्द्रा:’ के अनुसार भवनवासी और व्यन्तर देवों में दो-दो इन्द्र होते हैं

    • इस प्रकार इन आठ भेदों के दो-दो भेद से कुल सोलह भेद हो गए


  1. हमने देखा कि व्यंतर निकाय में किन्नर एक विशेष जाति है

    • यहाँ जाति का अर्थ किसी blood group या सम्प्रदाय से नहीं है

    • इसका मतलब है एक जैसी गुणवत्ता को धारण करने वाले, activity करने वाले लोगों का समूह

    • यह मनुष्यों में मिलने वाले किन्नर नहीं हैं


  1. किन्नर और किम्पुरुष इस जाति में दो इन्द्र हैं

  2. किम्पुरुष व्यन्तर देवों का दूसरा भेद भी है, हमें उससे confuse नहीं होना है

  3. किन्नर विशेष राग, रति उत्पन्न करने वाले गाने इत्यादि गाने का शौक रखते हैं

    • व्यन्तर होने के कारण उछलना-कूदना तो इनका जातिगत धर्म है

    • पर वर्तमान किन्नर से इनका साम्य होता हैं

    • इनकी क्रियाविधि उनके गुण, रूप में साम्यता को देखने में आती है


  1. किन्नर शब्द किम् मतलब बुरा उपसर्ग से बना है

    • जो बुरा करने वाला होता है उसे किंकर कहते हैं

    • किंकर अर्थात् नौकर

    • ये अच्छे मनुष्य नहीं कहलाते


  1. किन्नर और किम्पुरुष ये तो देव हैं मनुष्य नहीं हैं

    • फिर भी इनके नाम के आगे 'किम्' उपसर्ग जुड़ना अपने आप में एक बहुत बड़ी ऐतिहासिकता का विषय है


  1. सत्पुरुष और महापुरुष किम्पुरुष जाति के दो इन्द्र हैं

  2. इन इन्द्रों की अपनी अलग-अलग सेनाएँ और व्यवस्थाएँ होती हैं


  1. हमने जाना कि देवों में अलग-अलग नाम नहीं रखे जाते हैं

    • नाम fix होते हैं और देव उत्पन्न होने के बाद उसे प्राप्त करते हैं