श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 13

सूत्र - 08,09,10,11

Description

जम्बूद्वीप में बने हुए जिनायतनों का दिशा निर्धारण जम्बूद्वीप के नक्शे में भरत आदि सात क्षेत्र और हिमवन आदि छह कुलाचल पर्वतों का वर्णनभरतक्षेत्र आदि क्षेत्रों के चारों दिशाओं की क्षेत्र स्थिति का वर्णनभरत और ऐरावत क्षेत्र में छह कालों का परिवर्तन होता हैबाकी चार क्षेत्रों में शाश्वत भोगभूमियाँ हैंशाश्वत कर्मभूमि और शाश्वत भोगभूमि की व्यवस्था का वर्णनजम्बूद्वीप में सुमेरु पर्वत का वर्णनविदेह क्षेत्र संबंधी बत्तीस विदेह का वर्णनविदेह का मतलब

Sutra

द्वि-र्द्वि-र्विष्कम्भाःपूर्व-पूर्वपरिक्षेपिणो वलयाकृतयः ॥08॥

तन्मध्ये मेरुनाभिर्वृत्तो योजन-शत-सहस्र विष्कम्भो जम्बूद्वीप:॥09॥

भरत-हैमवत-हरि-विदेह-रम्यक-हैरण्यवतैरावतवर्षा: क्षेत्राणि॥10॥

तद्विभाजिन:पूर्वापरायता हिमवन-महाहिमवन-निषध-नील-रुक्मि-शिखरिणो वर्षधर पर्वता:।।११।।

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WINNERS

Day 13

11th October, 2022

श्रीमती सीमा जैन

शामली

WIINNER- 1

Asha jain

Jaipur

WINNER-2

Asha jain

Kishangarh

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

निम्न में से कौनसा क्षेत्र तीन दिशाओं में लवण समुद्र से घिरा हुआ है?

हैमवत क्षेत्र

हरि क्षेत्र

हैरण्यवत क्षेत्र

ऐरावत क्षेत्र*

Abhyas (Practice Paper):

https://forms.gle/TW7dg1NXj6omm95C6

Summary

  1. आज हमने map के माध्यम से जम्बूद्वीप के अन्दर के क्षेत्रों और पर्वतों के विषय में स्पष्ट जानकारी प्राप्त की

  2. दिशा निर्धारण के लिए

    1. नीचे दक्षिण

    2. ऊपर उत्तर

    3. right side पूर्व

    4. और left side पश्चिम होगी


  1. जब हम जम्बूद्वीप के नक्शे में दक्षिण से उत्तर की ओर देखते हैं

    • तो सबसे नीचे धनुषाकार भरत क्षेत्र

    • उसके ऊपर एक line के रूप में विभाजित करने वाला हिमवन पर्वत है

    • उसके बाद दूसरा क्षेत्र हैमवत है और महाहिमवन पर्वत

    • फिर हरि क्षेत्र और निषध पर्वत है

    • बीच के बहुत बड़े portion के बीचों-बीच सुमेरू पर्वत है और उसी में विदेह आदि क्षेत्र हैं

    • इस विदेह क्षेत्र के बाद में नील पर्वत एक line के रूप में

    • फिर रम्यक क्षेत्र और रुक्मि पर्वत

    • फिर हैरण्यवत क्षेत्र और शिखरणी पर्वत

    • और अंत में भरत क्षेत्र की तरह ऐरावत क्षेत्र है


  1. इस तरह छह lines छह पर्वतों को दर्शाती हैं और इनके बीच में सात क्षेत्र हैं

  2. भरतक्षेत्र के दक्षिण, पूर्व और पश्चिम दिशा में लवण समुद्र है और उत्तर में हिमवन पर्वत

  3. ऐरावतक्षेत्र के उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिशा में लवण समुद्र है और दक्षिण में शिखरणी पर्वत

  4. शेष पांचों क्षेत्रों में पूर्व-पश्चिम में लवण समुद्र है और उत्तर-दक्षिण में कुलाचल पर्वत

    • हैमवत क्षेत्र के दक्षिण में हिमवन और उत्तर में महाहिमवन पर्वत है

    • हरि क्षेत्र के दक्षिण में महाहिमवन और उत्तर दिशा में निषध पर्वत है

    • विदेह क्षेत्र के दक्षिण में निषध और उत्तर में नील पर्वत है

    • रम्यक क्षेत्र के दक्षिण में नील और उत्तर में रुक्मि पर्वत है

    • हैरण्यवत क्षेत्र के दक्षिण में रुक्मि और उत्तर में शिखरणी पर्वत है


  1. भरत और ऐरावत क्षेत्र में छह कालों का परिवर्तन होता है

    • यहाँ कभी भोगभूमि होगी तो कभी कर्मभूमि


  1. हैमवत, हरि, रम्यक और हैरण्यवत क्षेत्र में शाश्वत भोगभूमियाँ हैं

  2. विदेह क्षेत्र में शाश्वत भोगभूमि और शाश्वत कर्मभूमि दोनों हैं

  3. जम्बूद्वीप में बीचों-बीच में एक लाख योजन का मेरू पर्वत है

    • इसके east और west direction में हाथी के दांत की तरह lines खींचने से चार portion बन जाते हैं

    • ये lines सुमेरू पर्वत से निकले हुए गजदंत नाम के पर्वत हैं

    • सुमेरु के पूर्व में पूर्व विदेह और पश्चिम में पश्चिम विदेह है

    • ये चारों portions शाश्वत कर्मभूमियाँ हैं और इनमें बड़ी-बड़ी आठ नगरियाँ / क्षेत्र हैं

    • इस तरह चारों दिशाओं में 8x4= बत्तीस विदेह क्षेत्र होते हैं


  1. विदेह मतलब जहाँ पर देह से मुक्त होने का हमेशा उपक्रम चलता रहता है

    • यहाँ अपनी साधना से कभी भी मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं


  1. यहाँ आठों क्षेत्रों में कम से कम एक जगह पर एक तीर्थंकर जरूर होंगे

  2. आगे हम जम्बूद्वीप के पर्वतों और क्षेत्रों के नाम की सार्थकता समझेंगे