श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 27

सूत्र - 13

Description

पाँच स्थावर जीवों का वर्णन l स्थावर जीवों के माध्यम से जीवन का यह क्रम बड़ा वैज्ञानिक है l जल के आधार से पृथ्वी और अग्नि का अस्तित्व बना रहता है l वायु को अग्नि का सखा माना जाता है l वनस्पति में तो जल, अग्नि, वायु और तेज सभी स्थित होते हैं l जैन शास्त्रों में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति को जीव कहा जाता है l पृथ्वी के चार भेद होते हैं l स्थावरों के इन चार भेदों में दो-दो रूप अचेतन और चेतन के हैं l जल के ऐसे ही चार भेद l कब क्षणभर के लिए जल और अग्नि को शुद्ध रूप कहा जा सकता है?

Sutra

पृथिव्यप्तेजोवायुवनस्पतय: स्थावरा:।l१३।l

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WINNERS

Day 27

2nd June, 2022

Rani Jain

Parasiya

WIINNER- 1

Tilok Chand Jain

Mira Road

WINNER-2

Shashi Jain

Kanpur

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

जिस पृथ्वी में पहले जीव था फिर निकल गया, उसको क्या कहेंगे?

  1. सामान्य पृथ्वी

  2. पृथ्वीकाय *

  3. पृथ्वीकायिक

  4. पृथ्वी जीव

Abhyas (Practice Paper):

Summary


  1. सूत्र 13 में हमने पाँच स्थावर जीवों ke वर्णन ko समझा

  2. हमने जाना कि स्थावर जीव

    • स्थावर नामकर्म के उदय से होते हैं

    • इनके सिर्फ स्पर्शन एक इन्द्रिय होती है

    • पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और वनस्पति के भेद से पाँच प्रकार के होते हैं

    • इन जीवों से ही प्रकृति जीवमय हो जाती है


  1. स्थावर जीवों यह क्रम भी बड़ा वैज्ञानिक है

    • पृथ्वी सबका आधार है

    • जल, नदियों, सागरों का जल, पृथ्वी में ही मिलता है

    • अग्नि की उत्पत्ति जल से ही होती है या पृथ्वी में पाए जाने वाले कोयला आदि खनिज पदार्थों से होती है

      1. हालाकि पृथ्वी और अग्नि एक-दूसरे के विरोधी होते हैं किन्तु जल के आधार से दोनों का अस्तित्व बना रहता है

    • वायु को अग्नि का सखा माना जाता है

    • और अंतिम वनस्पति में सभी का समावेश होता है

      1. पृथ्वी का आधार

      2. जल

      3. सूर्य से तेज या अग्नि

      4. और वायु

      5. किसी भी चीज की कमी होगी तो वनस्पति नहीं बन पाएगी


  1. शास्त्रों के अनुसार इन स्थावर जीवों में प्रत्येक के चार-चार भेद होते हैं जैसे

  2. पृथ्वी के पृथ्वी, पृथ्वीकाय, पृथ्वीकायिक और पृथ्वी जीव

    • पृथ्वी का मतलब है सामान्य पृथ्वी जो स्वाभाव से कठोर रूप में अपना कोई भी आकार बना ले और अपने काठिन्य गुण को धारण किए रहे

    • पृथ्वीकाय में पहले जीव था जो अब निकल गया है

      1. जैसे आत्मा निकलने के बाद मृत मनुष्य शरीर

    • पृथ्वीकायिक के अन्दर जीव अभी उपस्थित है

    • और पृथ्वी जीव वह है जो अभी विग्रह गति में है और नियम से आगे किसी न किसी पृथ्वी को अपनी काया बनाकर पृथ्वीकायक बनेगा


  1. एक शरीर को छोड़ने के बाद दूसरे शरीर को ग्रहण करने के बीच के रस्ते को विग्रह गति कहते हैं

  2. पृथ्वी की ही तरह जल, अग्नि, वायु और वनस्पति में चार-चार भेद घटित करना

  3. हमने जाना स्थावरों के इन चार भेदों में दो-दो रूप अचेतन और चेतन के हैं

    • जैसे- सामान्य पृथ्वी स्वाभाव से और पृथ्वीकाय जीव निकलने से अचेतन हैं

    • और पृथ्वीकायक और पृथ्वी जीव चेतन रूप हैं


  1. किसी भी पृथ्वी, जल, अग्नि को देखकर के यह निर्णीत नहीं हो सकता कि वह अचेतन है या चेतन

  2. यह हमें सिद्धान्तपूर्वक ग्रहण करना है

  3. बादल से निकल हुआ पानी या जलाई हुई अग्नि क्षण भर के लिए शुद्ध मानी गयी है