श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 12
सूत्र - 12
सूत्र - 12
सूर्य-चन्द्रमा अनादि से हैं और हमेशा रहेंगें। अन्य ज्योतिष्क देवों के विमानों को खींचने वाले देवों की संख्या। लवणसमुद्र से सम्बन्धित एक विचित्र एवं रोचक तथ्य। ज्योतिष्क देवों के इन्द्र और उनका परिवार। जम्बूद्वीप के दो चन्द्रमा और दो सूर्य का वर्णन एवं उनके परिभ्रमण की व्यवस्था। ढाई द्वीप के चन्द्रमा एवं सूर्यों की संख्या। सूर्यग्रहण होने का कारण। ज्योतिष्क देवों की ऊँचाई। सूर्य में प्रकाश और ऊष्मा का कारण। चन्द्रमा में प्रकाश और शीतलता का कारण। सूर्य के सम्बन्ध में विज्ञान की धारणा का खण्डन। ज्योतिषी देवों का विशेष वर्णन तिलोयपण्णत्ति आदि ग्रन्थों में।
ज्योतिष्काः सूर्याचन्द्रमसौ-ग्रह-नक्षत्र-प्रकीर्णक-तारकाश्च।।12।।
श्रीमती नीलू जैन
जबलपुर मध्य प्रदेश
WINNER-1
Manju Jain
Firozabad
WINNER-2
Shrimati Sharmila Jain
Jabalpur
WINNER-3
ढाई द्वीप में कुल कितने चन्द्रमा हैं?
बयालीस (42)
बहत्तर (72)
नब्बे (90)
एक सौ बत्तीस (132)*
हमने जाना कि चन्द्रमा की सोलह कलाओं के निश्चित दर से घटने पर कृष्ण पक्ष
और बढ़ने पर शुक्ल पक्ष होता है
इसका कारण चन्द्रमा के विमान के नीचे राहु ग्रह के विमान का होना है
चन्द्रमा के विमान के तल और राहु के विमान के ध्वज दण्ड में मात्र चार अंगुल का अंतर होता है
चन्द्रमा के साथ-साथ राहु की भी निश्चित गति होती है
कृष्ण पक्ष के पन्द्रह दिन में चन्द्रमा की एक-एक कला घटती है
यानि प्रतिदिन इसका सोलहवाँ अंश राहु के द्वारा ढकता है
अमावस्या को यह पूरा ढक जाता है
शुक्ल पक्ष में यह कला बढ़ने लगती है
हमने जाना कि ग्रहों के विमानों को आठ हजार
नक्षत्रों को चार हजार
और सामान्य तारों के विमानों को दो हजार देव जोतते हैं
सूर्य-चन्द्रमा अनादि से हैं और हमेशा रहेंगे
लेकिन भोगभूमि के काल में ये दिखाई नहीं देते
क्योंकि यहाँ पर कल्पवृक्षों के प्रकाश में इनका प्रकाश हल्का पड़ जाता है
हमने जाना कि जम्बूद्वीप के चारों ओर जो लवण समुद्र है
उसका पानी चौदह हजार योजन, सोलह हजार योजन तक ऊपर उठा होता है
चूंकि पूरा ज्योतिर्मण्डल नौ सौ योजन ऊपर तक है
एक तरह से यह पूरा लवण समुद्र के पानी में डूबा हुआ है
वैसे तो सूर्य बहुत प्रभावान होता है
लेकिन ज्योतिष मण्डल का इन्द्र चन्द्रमा होता है
एक चन्द्रमा के परिवार में
एक सूर्य
अट्ठासी ग्रह
अट्ठाईस नक्षत्र
छियासठ हजार नौ सौ पचहत्तर कोड़ा-कोड़ी तारे होते हैं
जम्बूद्वीप में दो चन्द्रमा होते हैं
इसीलिए सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारे भी दूने-दूने होते हैं
एक चन्द्रमा और एक सूर्य अपनी गली में जिस side होगा
दूसरा चन्द्रमा और सूर्य उस समय उसी गली में opposite side पर होगा
यह अनादिकालीन व्यवस्था इस तरह चलती है कि
जो सूर्य हमें आज दिखाई देगा, वही परसों दिखेगा
और जो कल दिखेगा वहीं चौथे दिन दिखेगा
हमने जाना कि
जम्बूद्वीप में दो
लवण समुद्र में चार
धातकीखण्ड द्वीप में बारह
कालोदधि द्वीप समुद्र में बयालीस
और पुष्करार्ध द्वीप में बहत्तर चन्द्रमा और उनके परिवार होते हैं
कुल मिलाकर ढाई द्वीप में एक सौ बत्तीस चन्द्रमा और एक सौ बत्तीस सूर्य होते हैं
सूर्य के विमान के नीचे केतु का विमान होता है
जब केतु का विमान अपनी गति के कारण सूर्य के प्रकाश को पूरा ढक लेता है
तब सूर्यग्रहण होता है
ज्योतिष्क देवों की ऊँचाई सात धनुष यानि अट्ठाईस हाथ होती है
सूर्य के विमान के तल पर हमेशा आतप नामकर्म वाले एकेन्द्रिय पृथ्वीकायिक के जीवों का जन्म होता रहता है
जिसके कारण से उसकी प्रभा और उष्णता होती है
इसी प्रकार चन्द्रमा के तल पर उद्योत नामकर्म वाले एकेन्द्रिय पृथ्वीकायिक जीव होते हैं
जिसके कारण से उसकी प्रभा और शीतलता होती है
चन्द्रमा और सूर्य की बारह हजार किरणें होती हैं
हमें ऐसी मिथ्या भ्रांतियों को नहीं मानना चाहिए कि
सूर्य के विमान के बाहर आग लग रही है
इसलिए वो अंदर भी आग का गोला होगा
या जैसे विज्ञान कहता है कि सूर्य की आग निरन्तर कम हो रही है
और कुछ वर्ष के बाद वह गोला ठण्डा हो जाएगा
ये सब अप्रमाणिक बातें हैं
ये सब स्वतः अकृत्रिम चीजें हैं, रचनाएँ हैं
आतप और उद्योत नामकर्म वाले जीव, सूर्य और चन्द्रमा के विमान में हमेशा उत्पन्न होते रहेंगे
और सूर्य और चन्द्रमा भी हमेशा ऐसे ही रहेंगे
यह ज्योतिषियों का सामान्य ज्ञान है
विशेष वर्णन तिलोयपण्णत्ति आदि ग्रन्थों में मिलता है