श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 05

सूत्र - 02

Description

द्रव्य का स्व-अस्तित्व अपनी निजी शक्ति के कारण से है लेकिन उस अस्तित्व को बनाए रखने में आकाश द्रव्य भी सहायक है। धर्म द्रव्य जैसे शुद्ध द्रव्यों के परिणमन में भी अन्य द्रव्य सहायक हैप्रत्येक द्रव्य का अस्तित्व पर-द्रव्य सापेक्ष हैपर-द्रव्य, पर-क्षेत्र, पर-काल और पर-भावपर-द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव की शक्ति को स्वीकार न करना, मिथ्यात्व हैद्रव्य-अस्तिकाय के रूप में सापेक्षता का सिद्धान्तजैन विज्ञान और modern विज्ञान दोनों में ही अंतरंग और बहिरंग दोनों निमित्तों को स्वीकार किया गया हैद्रव्यों के अस्तित्व को Theory of relativity से समझ सकते हैशुद्ध द्रव्य का परिणमन भी एकान्त रूप से स्वतंत्र नहींप्रत्येक द्रव्य का परिणमन काल द्रव्य के सापेक्ष होता हैहम पुद्गल द्रव्य के माध्यम से द्रव्य के परिणमन को समझ सकते है, क्योंकि यह हमें दिखाई देता हैपुद्गल में भी परिणमन स्वयं की शक्ति से होता है, पर बाह्य निमित्त के बिना नहीं होता                            

Sutra

  द्रव्याणि।।2।। 

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WINNER 

Day 05

27th Mar, 2023

शैल जैन

वैशाली गाजियाबाद

WINNER-1

Suvarna Praphul Shah

Pune

WINNER-2

Parul jain

New delhi

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए सही शहद चुनिए-

प्रत्येक द्रव्य का परिणमन ____ द्रव्य के सापेक्ष होता है।

जीव

काल*

अधर्म

आकाश

Abhyas (Practice Paper):

https://forms.gle/epjznRqPZUNj2fKD9 

Summary

4.

प्रत्येक द्रव्य अंतरंग और बहिरंग निमित्तों के माध्यम से अपने अस्तित्व को बनाए रखता है

5. स्व-सापेक्ष या निरपेक्ष कोई भी द्रव्य नहीं रह सकता