श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 36
सूत्र - 25,26,27,28
सूत्र - 25,26,27,28
सर्वज्ञ के अलावा एक साथ विश्व के बारे में कोई भी नहीं बता सकता। सर्वज्ञता की सिद्ध। भेद और संघात। अणु के भेद नही होते है। चक्षु इन्द्रिय का विषय चाक्षुष कहलाता है।
अणवःस्कंधाश्च ॥5.25॥
भेद-संघातेभ्यःउत्पद्यन्ते ॥5.26॥
भेदा-दणुः ॥5.27॥
भेद-संघाताभ्यां चाक्षुष: ॥5.28॥
श्रीमती बीना जैन
कोटा
WINNER-1
Aashu Jain
Delhi
WINNER-2
Kamlesh Jain
Alwar
WINNER-3
अणु की उत्पत्ति किससे होती है?
भेद से*
संघात से
भेद संघात से
अभेद संघात से
हमने जाना कि science भी atom की बात करता है
परन्तु उसके भी neutron, proton आदि भाग होते हैं
विज्ञान का अणु स्थूल सूक्ष्म स्कन्ध की श्रेणी में आएगा
Jain Science का अणु, छह प्रकार के स्कन्धों के बाद आता है
science को वहाँ तक पहुँचने के लिये बहुत यात्रा तय करनी पड़ेगी
क्योंकि Jain science के सूक्ष्म और सूक्ष्म-सूक्ष्म स्कन्ध भी science की पहुँच से दूर है
सर्वज्ञ के अलावा एक साथ clearly विश्व के बारे में कोई भी नहीं बता सकता
बच्चे अक्सर अज्ञानता में सर्वज्ञता को question करते हैं
जब भी कोई full knowledge के बिना clear classification करेगा
तो उससे चीजें छूट जायेंगी
जैसे विज्ञान अभी भी नए-नए elements discover कर रहा है
जबकि science को तो एक बार में perfect बता देना चाहिए
इसके अलावा कुछ नहीं होना चाहिए
सूत्र 26 भेद-संघातेभ्यःउत्पद्यन्ते में हमने जाना कि भेद से, संघात से और भेद-संघात से स्कन्धों की उत्पत्ति होती है
स्कन्धाश्च सूत्र पच्चीस से लिया है
चूँकि ‘भ्य’ द्विवचन नहीं, बहुवचन है
इसलिए भेद और संघात के साथ भेद + संघात भी लिया है
भेद dividation का और संघात union का process है
विज्ञान की nuclear fusion और fission की process भी भेद और संघात जैसी हैं
जैसे बीस प्रदेश वाले स्कन्ध को दस प्रदेश में तोड़ दिया वो भेद बन गया
बीस प्रदेश के स्कन्ध में दस प्रदेश वाला मिला दिया तो संघात हो गया
और स्कन्ध में से कोई स्कन्ध निकालकर उसी में दूसरा स्कन्ध मिला दिया तो भेद संघात हो गया
जैसे जल में से जल निकालना भेद
दूसरा जल मिलाना संघात
और थोड़ा जल निकालकर थोड़ा और डाल देना भेद-संघात हो गया
हमारे वातावरण में ठोस, द्रव और गैस तीनों चीजें इन्हीं भेद, संघात और भेद-संघात के माध्यम से उत्पन्न होती रहती हैं
चाहे बादलों का बनना
समुद्र का पानी वाष्प के रूप में बनना या
अग्नि का किसी भी रूप में बदलना
सब स्कन्धों का खेल इन्हीं तीनों process से चलता रहता है
सूत्र सत्ताईस भेदा-दणुः में आचार्य कहते हैं कि अणु की उत्पत्ति केवल भेद से होती है
स्कन्ध के भेद तब तक करते चले जाओ जिसके बाद फिर भेद न कर सको
उसका नाम ही अणु है
इस ब्रह्माण्ड में घूम रहे अनंतों परमाणु स्कन्धों के टूटने से ही बने हैं
आचार्यों ने ऐसा कोई भी अणु नहीं स्वीकारा जो आज तक कभी स्कन्ध न बना हो
सूत्र 28 भेद-संघाताभ्यां चाक्षुष: में हमने जाना कि स्कन्ध चक्षु इन्द्रिय का विषय कैसे बनेगा?
सूत्र में “भ्यां” यानि द्वितीय विभक्ति का प्रयोग हुआ है
अतः यहाँ दो ही चीजें हैं - भेद और संघात
इनसे जो बनता है वो चाक्षुष यानि चक्षु इन्द्रिय का विषय कहलाता है
अचाक्षुष स्कन्धों को चाक्षुष बनाने के लिए सिर्फ भेद या संघात पर्याप्त नहीं है
इसमें दोनों होने होंगे
जैसे hydrogen और oxygen गैसों के molecules अचाक्षुष हैं
पर 2H + O =H²O के रूप में भेद और संघात होने पर वे जल के रूप में चाक्षुष होते है
दोनों अंगुलियों को घिसने पर मैल की बत्तियाँ निकलती हैं
यानि भेद और संघात से अचाक्षुष मैल चाक्षुष हो जाता है