श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 21
सूत्र - 21,22,23
सूत्र - 21,22,23
नदियों का बहने का दिशाक्रम । पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ। प्रमुख परिवार नदियों का कथन। आगे-आगे ये परिवार नदियाँ दूनी-दूनी हो जाती है। नदियों के निकलने का क्रम-। भरत के बाद आया हैमवत क्षेत्र। तीसरे पर्वत पर मिलेगा तिगिन्छ नाम का सरोवर। बीचोबीच में सुमेरु पर्वत है। ये सभी भोगभूमियाँ हैं। सभी नदियाँ पूर्व दिशा की ओर व पश्चिम दिशा की ओर गमन करती हैं।
द्वयोर्द्वयोः पूर्वाः पूर्वगाः ॥21॥
शेषास्त्वपरगाः ॥22॥
चतुर्दश-नदी-सहस्र-परिवृता गंगा सिन्ध्वादयो नद्यः ॥23॥
Reshma jain
Kharagpur
WIINNER- 1
अनीता जैन
भोपाल
WINNER-2
Rita patni
Nashik
WINNER-3
निम्न में से कौनसी नदी *पूर्वगा:* है?
सिंधु
रोहितास्या
हरित*
सीतोदा
1.हमने जम्बूद्वीप में सरोवरों के मध्य से निकलने वाली चौदह नदियों के बारे में जाना
2.सूत्र इक्कीस द्वयोर्द्वयोः पूर्वाः पूर्वगाः और सूत्र बाईस शेषास्त्वपरगाः के अनुसार
जो दो-दो नदियों के जोड़े हमने सूत्र २० में देखे थे
उनमें से पहली नदी पूर्व दिशा की ओर
और दूसरी अपर मतलब पश्चिम दिशा की ओर चली जाती हैं
जैसे
गंगा-सिन्धु में से गंगा पूर्व में और सिन्धु पश्चिम में
रोहित-रोहितास्या में रोहित पूर्व में और रोहितास्या पश्चिम में जाएगी
सूत्र तेईस चतुर्दश-नदी-सहस्र-परिवृता गङ्गा सिन्ध्वादयो नद्यः में हमने जाना कि गंगा-सिन्धु आदि नदियाँ चौदह हजार परिवार नदियों से घिरी हुई होती हैं
लेकिन ये सभी नदियाँ म्लेच्छ खण्ड में गुजरती हैं
आर्यखण्ड में नहीं आती
इसलिए जल के शुद्धिकरण के समय हमें इन नदियों की कल्पना करनी पड़ती है
आगे-आगे ये परिवार नदियाँ दूनी-दूनी हो जाती हैं
दक्षिण भाग तक दूनी-दूनी,
बीच में आ कर बराबर हो करके
फिर पिछले वाले के समान उनकी संख्या होती चली जाती हैं
हमने जाना कि पद्म द्रह और पुण्डरीक द्रह से से तीन-तीन नदियाँ निकलती हैं
शेष द्रहों से दो-दो नदियाँ ही निकलती हैं
अतः ये धारणा नहीं बनाना कि एक-एक कुण्ड में दो-दो नदियाँ हैं
पद्म द्रह से गंगा और सिंधु नदियाँ दक्षिण में भरत क्षेत्र से बहते हुए पूर्व और पश्चिम में लवण समुद्र में मिलती हैं
इसी द्रह से उत्तर दिशा की ओर रोहितस्या नदी निकलती है
यह हैमवत क्षेत्र में प्रवेश करके
उसके बीचों-बीच गोलाकार वेदाढ्य पर्वत के पहले ही उसकी परिक्रमा लगाकर
यह पश्चिम की ओर चली जाती है
महापद्म द्रह से दक्षिण में हैमवत क्षेत्र में परिक्रमा लगा कर के रोहित नदी पूर्व दिशा में जाती है
इसी द्रह से हरिकांता नदी उत्तर में हरि क्षेत्र में पश्चिम दिशा में जाती है
तिगिंच्छ द्रह से हरित नदी, हरि क्षेत्र में दक्षिण दिशा से होकर पूर्व की ओर जाती है
बीचों बीच में सुमेरु पर्वत है
इसी द्रह से सीतोदा नदी उत्तर दिशा में विदेह क्षेत्र में देवकुरू से होते हुए पश्चिम दिशा में चली जाती है
केसरी द्रह से सीता नदी दक्षिण में विदेह क्षेत्र में उत्तर कुरू से होते हुए पूर्व दिशा में जाती है
इसी द्रह से ऊपर उत्तर दिशा में रम्यक क्षेत्र में घूमते हुए वैडाढ्य पर्वत की परिक्रमा लगा कर नरकान्ता नदी पश्चिम की ओर जाती है
महापुण्डरीक द्रह से नारी नदी दक्षिण में रम्यक क्षेत्र में पूर्व दिशा में जाती है
इसी द्रह से ऊपर उत्तर दिशा में हैरण्यवत क्षेत्र में रूप्यकूला नदी पश्चिम की ओर जाती है
पुण्डरीक द्रह से दक्षिण दिशा में हैरण्यवत क्षेत्र में स्वर्णकूला नदी पूर्व दिशा की ओर जाती है
इसी से उत्तर दिशा में ऐरावत क्षेत्र में पूर्व दिशा में रक्ता नदी और पश्चिम दिशा में रक्तोदा नदी जाती है
ऐसे भोगभूमि के क्षेत्रों से घूमती हुई ये नदियाँ पूर्व दिशा की ओर और पश्चिम दिशा की ओर गमन करती हैं
इसलिए इनको पूर्वगाः और अपरगाः कहा गया है