श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 11
सूत्र - 14, 15
सूत्र - 14, 15
मतिज्ञान किससे उत्पन्न होता है? आत्मा के अस्तित्व का ज्ञान इन्द्रियों के माध्यम से? इन्द्रियाॅं,आत्मा के लिए उपकारी! इन्द्रिय,अनिन्द्रिय और अतिन्द्रिय में अन्तर? अतिन्द्रिय ज्ञान प्रत्यक्ष ज्ञान है? देश और काल ये मन के लिए नियत नहीं! कर्मों के क्षयोपशम क्या है? नींद क्यों आती है? श्रुतज्ञान की समझ भी मतिज्ञान से ही! धारणा ज्ञान कम तो memory कम? चारों ज्ञान हर इन्द्रिय के साथ घटित होते!
तदिन्द्रियानिन्द्रिय-निमित्तम् ।।1.14।।
अवग्रहेहावायधारणाः ।।1.15।।
Archana Jain
New Delhi
WINNER-1
Tatvarth Gandhi Jain
Manasa
WINNER-2
बबीता जैन
दिल्ली
WINNER-3
इनमे से कौन मतिज्ञान का भेद नहीं है?
इहा
धारणा
अवग्रह
व्यंजन *
आज हमने जाना की मतिज्ञान किस कारण से होता है?
सूत्र 14 - तदिन्द्रियानिन्द्रिय-निमित्तम् के अनुसार मतिज्ञान इन्द्रिय और अनिन्द्रिय के निमित्त से होता है
मन रहित जीवों में यह जितनी इन्द्रिय जीव के पास हैं उन से होता है
मन सहित जीवों में यह पाँचों इन्द्रिय और मन के निमित्त से होता है
इन्द्रिय शब्द - इंद्र शब्द अर्थात आत्मा से बना है
हमने इन्द्रिय के आत्मा पर उपकारों को भी समझा
आत्मा को ज्ञान का क्षयोपशम होने पर भी; पदार्थ का ज्ञान कराने में इन्द्रियाँ ही साधन हैं
इन्द्रिय अपने गूढ़ विषय को जानती हैं
और संसारी दशा में आत्मा को विषय की गूढता जानने के लिए इन्द्रियों का आलम्बन लेना पड़ता है
इंद्रियों के माध्यम से आत्मा के अस्तित्व का पता चलता है जैसे ये कितने इन्द्रिय जीव है
प्राणी संयम का पालन भी इन्द्रियों के ज्ञान से ही सम्भव है
हमने देखा कि इन्द्रिय अगर आत्मा के लिए असंयम भाव उत्पन्न कराती हैं तो वे अपकारी भी हैं
कर्मों ने आत्मा को घेर रखा है, इसकी शक्ति को दबा रखा है - यह ज्ञान कर्म के क्षयोपशम से आया
यह ज्ञान आने में भी शरीर, इन्द्रियाँ ही उपकारी हैं।
मन को अनिंद्रिय भी कहते हैं
अनिंद्रिय अर्थात ईषत इन्द्रिय मतलब कुछ इन्द्रिय जैसा भाव, इन्द्रिय का अभाव नहीं
इन्द्रिय के अभाव को अतीन्द्रिय कहते हैं
मन को अंतःकरण भी कहते हैं मतलब अन्तरंग में ही यह इन्द्रिय रहती है बाहर नहीं दिखती
देश और काल मन के लिए नियत नहीं है, इंद्रियों के लिए नियत हैं
हमने जाना कि कर्मों के क्षयोपशम में कुछ कर्म दब जाते हैं और कुछ बिना फल दिए क्षय हो जाते हैं
इस दशा में आत्मा का ज्ञान प्रकट होता है
हमने समझा कि तत्त्व की बात करने में नींद क्यों आती है?
ज्ञान ही है जो निद्रा को भगाता है, जैसे ही अन्दर ज्ञान की जागृति कम हुई, निद्रा हावी हो जाती है।
हमने मति ज्ञान के चार भेद भी जाने
अवग्रह- किसी पदार्थ का इन्द्रिय का विषय बनने पर सबसे पहले होने वाला ज्ञान
इहा- विशेष जानने की इच्छा
अवाय- निश्चय हो जाना
धारणा- जितनी देर तक याद रहे पाए यह धारणा मतिज्ञान है
ये चारों ही ज्ञान हर इन्द्रिय और मन के साथ घटित होते हैं