श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 11
सूत्र - 12
सूत्र - 12
जैन दर्शन के अनुसार, सूर्य के विमान चन्द्रमा के विमानों की अपेक्षा पृथ्वी के निकट है; जबकि विज्ञान के अनुसार, चन्द्रमा पृथ्वी के निकट है। 'पृथ्वी घूमती है' विज्ञान की यह धारणा भी जैन दर्शन के विपरीत है। वक्ता की प्रमाणिकता से ही वाक्य की प्रमाणिकता होती है। आगे के ज्योतिष्क देवों के विमानों की स्थिति। चित्रा भूमि से सात सौ नब्बे(790) योजन से लेकर नौ सौ(900) योजन तक एक सौ दस(110) योजन के ऊँचाई तथा एक राजू प्रमाण व्यास के क्षेत्र में ज्योतिष्क देवों का निवास है। प्रत्येक देव के विमान में जिनालय आदि होते हैं। देवों के विमानों को खींचने वाले भी देव हैं, जो विभिन्न आकृतियों को धारण किए होते हैं। सूर्य-चन्द्र आदि के विमानों को खींचने वाले देवों की विभिन्न आकृतियाँ। ज्योतिष्क देवों के विमानों के गमन की वीथियाँ(गलियाँ) नियत(fix) हैं। चन्द्र विमानों की पन्द्रह(15) वीथियाँ और सूर्य विमानों की एक सौ चौरासी(184) वीथियाँ हैं। ज्योतिष ज्ञान हमें द्वादशांग वाणी से प्राप्त हुआ है। चन्द्रमा के परिभ्रमण से कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। चन्द्रमा की कलाएँ घटने-बढ़ने का कारण।
ज्योतिष्काः सूर्याचन्द्रमसौ-ग्रह-नक्षत्र-प्रकीर्णक-तारकाश्च।।12।।
Swati Satagouda
Belgaum
WINNER-1
Usha Jain
Vidisha
WINNER-2
पुखराज जैन
गाजियाबाद
WINNER-3
ज्योतिष्क देवों के निवास क्षेत्र की कुल ऊँचाई कितनी है?
एक सौ दस योजन*
सात सौ योजन
नौ सौ दस योजन
चार सौ योजन
हमने वर्तमान विज्ञान की विपरीतता और जैन गणित से इसके अंतरों को देखा
अलग अलग देशों के विज्ञान के अनुसार चन्द्रमा की दूरी तीन लाख, पाँच लाख, बारह लाख या तेरह लाख मानी जाते हैं
जबकि जैन गणित अनुसार यह छप्पन लाख बत्तीस हजार किलोमीटर होती है
विज्ञान के अनुसार चन्द्रमा लाखों किलोमीटर दूर है और सूर्य करोड़ों किलोमीटर दूर
जैन दर्शन के अनुसार सूर्य पहले है और चन्द्रमा बाद में
और इनमें केवल अस्सी योजन का ही difference है
इसी प्रकार विज्ञान के अनुसार 'पृथ्वी घूमती है'
जबकि जैन दर्शन के अनुसार पृथ्वी स्थिर होती है
और चन्द्रमा और सूर्य घूमते हैं
यदि पृथ्वी लाखों किलोमीटर की speed से घूम रही है,
तो उसके आश्रित जो जल, समुद्र हैं, उनका पानी कहाँ जाएगा?
न्याय ग्रन्थों को पढ़कर हमें समझ आता है कि
हम science के नाम पर उल्टी बुद्धि को भी स्वीकारते हैं
वक्ता की प्रमाणिकता से ही वाक्य की प्रमाणिकता होती है
वक्ता के ज्ञान पर trust बनाने के लिए
उसके अन्दर प्रत्यक्ष ज्ञान और सर्वज्ञता होनी चाहिए
हमने जाना चित्रा भूमि से सात सौ नब्बे योजन से लेकर नौ सौ योजन तक एक राजू प्रमाण व्यास के क्षेत्र में ज्योतिष्क देवों का निवास हैं
सात सौ नब्बे योजन पर तारों के
उससे दस योजन ऊपर सूर्य के
उससे अस्सी योजन ऊपर चन्द्रमा के
उससे चार योजन ऊपर नक्षत्रों के
उससे चार योजन ऊपर बुध ग्रह के
उससे तीन-तीन योजन ऊपर क्रमशः शुक्र, गुरु, मंगल और शनि ग्रह के विमान होते हैं
इस तरह से तारों से शुरू होकर के शनि ग्रह तक एक सौ दस योजन में ज्योतिर्मण्डल होता है
जो असंख्यात द्वीप-समुद्रों में फैला हुआ है
हमने जाना कि असंख्यात ज्योतिष देव विमान में से प्रत्येक में जिनालय होते हैं
और देवों के लिए आवश्यक चीजें जैसे नृत्यशाला, रंगशाला, नाट्यशाला आदि भी उपलब्ध रहती हैं
इन विमानों को खींचने वाले भी देव होते हैं
चन्द्रमा और सूर्य के विमान को सोलह हजार देव खींचते हैं
चार-चार हजार देव हर दिशा में
पूर्व दिशा में सिंह की आकृति वाले देव
दक्षिण दिशा में गज
पश्चिम दिशा में वृषभ यानि बैल
और उत्तर दिशा में अश्व की आकृति वाले देव होते हैं
ज्योतिष्क देवों के विमानों के गमन की वीथियाँ या गलियाँ नियत हैं
वे उन्हीं fixed track पर चलते हैं
जैसे train पटरी पर चलती है
चन्द्र विमानों की पन्द्रह वीथियाँ है
और सूर्य विमानों की एक सौ चौरासी
हमने जाना कि ज्योतिष ज्ञान हमें द्वादशांग से प्राप्त हुआ है
यह हमें पूर्व और अंगों के शास्त्र में मिला है
अतः यह मिथ्या ज्ञान नहीं है
ऋषियों-मुनियों के ज्ञान के कारण से यह ज्योतिष प्रमाणिक है
यह ज्योतिष ज्ञान चन्द्रमा और सूर्य की गति के अनुसार ही चलता है
पृथ्वी की गति के अनुसार नहीं
अगर पृथ्वी घूम गई तो पूरा ज्योतिष fail हो जाएगा
भारतीय ज्योतिष ही नहीं विश्व के सभी का ज्योतिष चन्द्र, सूर्य के संचार पर ही depend हैं