श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 14
सूत्र - 13
सूत्र - 13
चय किसे कहते है? 2/61 मुहूर्त= (2/61)×48 मिनट= एक सही पैंतीस बटे इकसठ(1ʼ35/61)(one & thirty-five up on sixty-one) मिनट। एक वर्ष में दो अयन के 366 दिन होते हैं। दक्षिणायण के छह महीनों के 183 दिनों की गणना। हिन्दी कैलेण्डर के अनुसार, प्रत्येक तीन वर्ष में जो एक महीने की वृद्धि होती है, उसका कारण। जैन-दर्शन में सूर्य-चन्द्रमा आदि ज्योतिष विमानों का सटीक एवं व्यवस्थित वर्णन। इसी प्रकार चन्द्रमा की दिनमान का समय चन्द्रमा के चार क्षेत्र और गति के अनुसार बताया जाता है। सूर्य-चन्द्र आदि ज्योतिष मण्डल की गति के अनुसार ही ज्योतिष शास्त्र की गणनाएँ होती हैं।
मेरूप्रदक्षिणा नित्यगतयो नृलोके।।13।।
Tanav Shroff
Vadodara
WINNER-1
नलिनी मेहता
चिंचवड पुणे
WINNER-2
Renu Jain
Delhi
WINNER-3
हिंदी तिथि के अनुसार कितने समय में एक महीने की वृद्धि हो जाती है?
छह महीने में
डेढ़ वर्ष में
ढाई वर्ष में*
साढ़े तीन वर्ष में
हमने जाना कि सूर्य का उसकी वीथियों में भ्रमण के कारण
बड़े से बड़ा दिन अठारह मुहूर्त का
और छोटे से छोटा दिन बारह मुहूर्त का होता है
मतलब सूर्य को एक सौ तिरासी गलियों के अन्तराल को तय करने में औसतन दो बटे इकसठ मुहूर्त या एक सही पैंतीस बटे इकसठ मिनट प्रति गली लगते हैं
इसे एक चय कहते हैं
प्रतिदिन इसकी वृद्धि होते-होते यह छह महीने में एक सौ तिरासी गलियों के अन्तराल को पूरा कर लेगा
जो दिनमान चलते हैं, वे दो तरीके से चलते हैं।
संक्रान्ति के हिसाब से एक वर्ष में कुल 366 दिन होते हैं
183 दिन दक्षिणायन
और 183 दिन उत्तरायण के
संक्रान्ति दो प्रकार की होती है
दक्षिणायन में श्रावण मास से प्रारम्भ कर्क संक्रान्ति
और उत्तरायण में माघ मास से मकर संक्रान्ति
एक सौ तिरासी गलियों के अन्तरालों के कारण से यह गणित अपने आप निकल कर आता है
और साल में तीन सौ छियासठ दिन होते हैं
हमने महीने के हिसाब से दक्षिणायन के 183 दिनों को भी जाना
दक्षिणायन छह महीने में पूरा होता है
अतः एक महीने में इकसठ बटे दो दिन
श्रावण और भाद्र में इकसठ दिन
यानि तीस दिन के हिसाब से एक दिन बढ़ गया
आसोज या क्वार, कार्तिक, मंगसिर और पौष प्रत्येक के इकसठ बटे दो दिन जोडने से कुल एक सौ तिरासी दिन हो गए
हमने हिन्दी कैलेण्डर में प्रत्येक तीन वर्ष में होते वाली एक महीने की वृद्धि को भी समझा
इसके हिसाब से एक वर्ष में तीन सौ चौवन दिन होते हैं
यानि संक्रांति के हिसाब से साल में बारह दिन या महीने में एक दिन कम
यानि ढाई वर्ष में तीस दिन या एक महीने की वृद्धि
अंग्रेजी महीने और संक्रान्ति में केवल एक दिन का अन्तर पड़ता है
हमने जाना कि जैन-दर्शन में सूर्य-चन्द्रमा आदि ज्योतिष विमानों का सटीक एवं व्यवस्थित वर्णन है
जिससे यह दिन-रात का प्रक्रम चल रहा है,
दिन छोटे-बड़े हो रहे हैं
दक्षिणायन-उत्तरायण हो रहे हैं
वर्तमान विज्ञान सूर्य को स्थिर मानकर
पृथ्वी के angle के change के कारण से इसकी गणना या अनुमान करता है
किन्तु विज्ञान के पास दक्षिणायण या उत्तरायण का ज्ञान नहीं है
और न ही दिन के बढ़ने-घटने की कोई सिद्धि
यह केवल सूर्य के गमन को स्वीकारने से ही होगी
हमने देखा कि इतने ही चार क्षेत्र में चन्द्रमा की पन्द्रह गलियाँ हैं
उसके उदय और अस्त होने का समय, दिनमान का समय, भी इन चार क्षेत्र के अनुसार और इसकी निश्चित गति से निकाला जाता है
ज्योतिष-शास्त्र सूर्य-चन्द्र आदि ज्योतिष मण्डल की गति और संचार पर ही निर्भर है
सूर्य-चन्द्रमा के साथ-साथ ग्रह और नक्षत्र भी नित्य-गति करते हैं