श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 08
सूत्र - 07,08
Description
द्वीप-समुद्रों की संख्या। अलौकिक जैन गणित। त्रिलोकसार आदि ग्रन्थों में मिलेगा पल्य आदि का विस्तृत वर्णन। जम्बूद्वीप की संरचना । भरत क्षेत्र। जैन Science को भी जानने की कोशिश करो। modern साइंस भी हम बिना देखे मानते हैं! असंख्यात द्वीप-समुद्र एक राजू में हैं। तीन लोक चौदह राजू में हैं। जो हमारी आँखों से दिखाई देता है, उसके अलावा भी दुनिया में बहुत कुछ है।
Sutra
जम्बूद्वीप-लवणोदादयःशुभनामानो द्वीप-समुद्राः॥07॥
द्विर्द्विर्विष्कम्भाः पूर्व-पूर्व परिक्षेपिणो वलयाकृतयः॥08॥
Watch Class 08
WINNERS
Day 08
04th October, 2022
Shri Satish Kumar Jain
Pune
WIINNER- 1
श्रीमती सीमा जैन
शक्ति नगर जबलपुर
WINNER-2
सौ सुचिता भोकरे
बेलगॉव / कर्नाटक
WINNER-3
Sawal (Quiz Question)
जम्बू द्वीप का विस्तार कितना है?
1 सौ योजन
1 लाख योजन*
1 योजन
1 हज़ार योजन
Abhyas (Practice Paper):
Summary
असंख्यात को समझते हुए हमने जाना कि
अवधिज्ञान और मनः पर्ययज्ञान असंख्यात को जानता है
केवलज्ञान इसे प्रत्यक्ष देखता है और
श्रुतज्ञान इसे परोक्ष रूप से जानता है
असंख्यात की एक इकाई पल्य है
जिसे हम शलाका कुण्ड आदि के माध्यम से नापते हैं
व्यवहार पल्य, उद्धार पल्य और अद्धा पल्य के भेद से ये तीन प्रकार का है
पल्य का शाब्दिक अर्थ है एक गड्ढा
द्वीप-समुद्रों की संख्या
पल्य के अनुसार पच्चीस कोड़ाकोड़ी पल्य में जितने रोम आ जाएँगे, उतने रोमों के बराबर है
और सागर के अनुसार ‘ढाई सागर’ में जितने समय होंगे उन समयों के बराबर है
त्रिलोकसार आदि ग्रन्थों में अलौकिक जैन गणित की जानकारी मिलती है
जम्बूद्वीप एक लाख योजन व्यास का एक गोला है जिसमें
छह कुलाचल पर्वत
सात क्षेत्र
अनेक गंगा-सिन्धु आदि नदियाँ
बीचों-बीच में एक विदेह क्षेत्र है
इसी क्षेत्र में उत्तम, मध्यम और जघन्य भोग भूमियाँ हैं
इसके बीचों-बीच में एक लाख योजन ऊँचाई का एक सुमेरू पर्वत है
जिस पर अनेक वन और जिनालय बने हुए हैं
इसमें अनेक नगरियाँ है, जहाँ पर विभंगा आदि नदियाँ, वक्षार आदि पर्वत हैं
इन सबसे यह पूरा जम्बूद्वीप भरत क्षेत्र से लेकर ऐरावत क्षेत्र तक पूरा भरा हुआ है
एक लाख किलोमीटर के इस गोले में, south direction में, नीचे के part में एक चन्द्राकार चाप है,
उतना ही बस केवल भरत क्षेत्र है
और इसके छः में से एक भाग में हम रहते हैं
विज्ञान अभी पूरे भरत क्षेत्र की भी खोज नहीं कर पाया है, पूरे जम्बूद्वीप की या असंख्यात द्वीप-समुद्रों के बारे में तो क्या जानेगा?
modern science को तो हम बिना देखे मानते हैं!
जैसे न हमने galaxy देखी, न planets देखें
कहीं न कहीं हम theory के through ही उन्हें मानते हैं
भूगोल और विज्ञान की किताबों के अनुसार
पर त्रासिदी यह है कि अनादिकाल से जो हमें बताया गया है उसके बारे में हमें लगता है कि इसमें कुछ भी science नहीं है
हमें और खासकर science के students को तो एक बार जैन philosophy के according geography को सीख कर जैन Science को भी समझने की कोशिश करनी चाहिए
हमने जाना कि असंख्यात द्वीप-समुद्रों का फैलाव एक छोर से दूसरे छोर तक एक राजू है
असंख्यात द्वीप-समुद्र का कुल माप दूना-दूना विस्तार के साथ एक राजू होता है
जितना यह तिर्यकलोक है
तीन लोक bottom to top चौदह राजू में हैं