श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 30

सूत्र - 22

Description

भाव लिंग को न मानने वालों को भाव लिंग कभी मिलेगा नहींहमारे भीतर सम्‍यग्‍दर्शन, चारित्र का उत्पन्न होना वैस्रसिक परिणमन हैप्रायोगिक ही धर्म चलता हैगुरु और शिष्य के बीच में कोई तीसरा आना ही नहीं चाहिएपुरुषार्थ करना ही हमारे हाथ में हैआगम और गुरु की आज्ञा का पालन ही आपके अधिकार क्षेत्र में हैविद्वान का संस्मरणसिद्धि किये हुए व्यंतरो की बात सत्य नहीं हैप्रायोगिक को समझने के लिए आचार्य अकलंकदेव का राजवार्तिक पढ़ें                                                                

Sutra

वर्तना-परिणाम-क्रिया: परत्वापरत्वे च कालस्य ॥5.22॥  

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WINNERS

Day 30

15st May, 2023

चन्द्र लेखा जैन

वारासिवनी

WINNER-1

Madhu Jain

Bhopal

WINNER-2

अशोक कुमार प्रधान

धामनोद

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

भीतर के कषाय की हानि से उत्पन्न होने वाले गुणस्थान कौनसा परिणमन है?

Abhyas (Practice Paper):

https://forms.gle/xX9Yt2R5iz1rqidXA 

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