श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 30
सूत्र -28,29
सूत्र -28,29
वैमानिक देवों की आयु और घातायुष्क का वर्णन ।
स्थितिरसुरनागसुपर्णद्वीपशेषाणाम्सागरोपमत्रिपल्योपमार्द्धहीनमिताः।l4.28ll
सौधर्मैशानयो:सागरोपमेअधिके।l4.29ll
Priya Dolas
Gadchiroli
WINNER-1
अक्षय जैन
कोटकपूरा
WINNER-2
Sunita Rajkumar Thote
Ashta
WINNER-3
भवनवासियों में कौनसे देव सबसे बड़े हैं?
द्वीपकुमार देव
सुपर्णकुमार देव
नागकुमार देव
असुरकुमार देव *
मुनि श्री के चिंतन के अनुसार, सूत्र अठ्ठाईस में स्थिति शब्द; जीवों की स्थितिबंध मतलब आयुबंध या आयु की सीमा बताने का प्रकरण अब यहाँ से प्रारम्भ होता है, यह बताने के लिए प्रारंभ में आया है
अन्यथा यह तीसरे अध्याय के 'त्रिपल्योपम: स्थितय: की तरह अंत में भी आ सकता था
सबसे पहले भवनवासियों की आयु का वर्णन इस सूत्र से किया गया है
क्योंकि इनकी स्थिति बाकी देवों से अलग है
अन्य देवों की आयु समान होती है जिसे आचार्य 'च' शब्द कहकर बाद में संक्षेप से बता देंगे
इनके सबसे बड़े, सबसे अधिक विक्रिया, आयु आदि वाले असुरकुमार की उत्कृष्ट आयु एक सागर होती है
नागकुमार की आयु तीन पल्य होती है
सूत्र में अर्द्धहीनमिताः के अनुसार आगे के देवों की आयु क्रमशः आधा-आधा पल्य कम होती जाती है
सुपर्णकुमार की उत्कृष्ट आयु ढ़ाई(2½) पल्य
द्वीपकुमार की दो पल्य
और शेष छह भवनवासी देवों की आयु डेढ़(1½) पल्य होती है
हमने जाना कि कम शब्दों में सूत्र लिखना जिसमें पूरा अर्थ समाहित हो, यही सूत्रकार सबसे बड़ी विशेषता होती है
सूत्र उन्तीस सौधर्मैशानयोःसागरोपमे अधिके से वैमानिक देवों की आयु का वर्णन शुरू हुआ है
सौधर्म और ऐशान स्वर्ग की उत्कृष्ट आयु दो सागर से कुछ अधिक होती है
सागरोपमे अधिके द्विवचन होने के कारण अर्थ निकलता है- दो सागर से कुछ अधिक
यहाँ 'अधिक' शब्द घातायुष्क जीवों के लिए आया है
यानि जिन जीवों ने आयु का घात करके अपनी आयु कम की है
आयु दो प्रकार की होती है
बद्धमान आयु जो हमने आगे के लिए बांध ली है
और भुज्यमान आयु जो हम भोग रहे हैं
घातायुष्क को समझाने के लिए मुनि श्री उदाहरण देते है कि किसी जीव ने शुभ लेश्या और विशुद्ध परिणाम से दस सागर की आयु का बंध किया
और मरण समय पर उसके परिणाम संक्लिष्ट हो गए तो उसकी आयु घट जाएगी
यदि उसकी आयु घटकर दो सागर रह गयी तब वह सौधर्म ऐशान स्वर्ग में उत्पन्न होगा
यह घात उसने खुद कर लिया
आचार्य कहते हैं संक्लेश परिणामों के कारण से उसकी आयु दस सागर से घटकर दो सागर की आयु रह गई
फिर भी उसको दो सागर के ऊपर कुछ बोनस मिलेगा
सम्यग्दृष्टि जीव को एक अंतर्मुहूर्त कम आधा सागर अधिक की आयु
और मिथ्यादृष्टि जीव को पल्य का असंख्यातवाँ भाग अधिक की आयु मिलेगी
इस प्रकार घातायुष्क जीव आयु का घात होने पर प्राप्त हुई आयु से कुछ अधिक आयु प्राप्त कर लेता है
हमने जाना कि नारकी जीव भी आयु घात करके तैंतीस सागर से चौरासी हजार वर्ष की आयु कर लेता है
वर्तमान काल में भी गवर्नमेंट घर, मकान, जायदाद का नुकसान होने पर एक या दो परसेंट का हर्जाना दे देती है
आगे भी हम स्थिति के बारे में समझेंगे