श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 28
सूत्र - 31,32,33
सूत्र - 31,32,33
विदेह क्षेत्रों में मनुष्यों की आयु संख्यात काल ही होती है। पूर्व कोटि की गणना का तरीका। विदेह क्षेत्रों में हमेशा चतुर्थ काल ही चलता है। ढाई द्वीप के क्षेत्रों में काल-व्यवस्था। भरत क्षेत्र का विस्तार से विवरण। द्वीप का नाम धातकीखंड कैसे पड़ा?
विदेहेषु संख्येयकालाः॥3.31॥
भरतस्य विष्कम्भो जंबूद्वीपस्य नवतिशतभागाः ॥3.32॥
द्विर्धातकीखण्डे ॥3.33॥
WIINNER- 1
WINNER-2
WINNER-3
एक सुमेरू पर्वत के इर्द-गिर्द कुल कितने विदेह क्षेत्र होते हैं?
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1.सूत्र इक्कत्तीस - विदेहेषु संख्येयकालाः से हमने जाना कि विदेह क्षेत्रों में संख्यात काल होते हैं
अर्थात वहाँ मनुष्यों की आयु संख्यात वर्ष होती है
असंख्यात नहीं
असंख्यात आयु भोगभूमि में जैसे एक, दो, तीन पल्योपम होती है
इस सूत्र में विदेहेषु मतलब विदेह अनेक हैं
एक सुमेरू पर्वत के इर्द-गिर्द सभी दिशाओं में 32 बत्तीस विदेह क्षेत्र होते हैं
धातकीखंड द्वीप और पुष्करार्ध द्वीप में भी विदेह होते है
यहाँ संख्यात आयु एक पूर्वकोटि यानि एक करोड़ पूर्व होती है
चौरासी लाख वर्ष का एक पूर्वांग होता है
और चौरासी लाख पूर्वांग का एक पूर्व
इस तरह एक पूर्व सत्तर लाख छप्पन हज़ार करोड़ वर्ष का समय होता है
विदेह क्षेत्रों में हमेशा चतुर्थ काल ही चलता है
जैसा परिवर्तन चतुर्थ काल में होता है वैसा ही यहाँ होता है
हमने ढाई द्वीप के क्षेत्रों में अवसर्पिणी-उत्सर्पिणी के छह कालों की व्यवस्था को revise किया, जैसे
भरत और ऐरावत क्षेत्र में छह काल होते हैं
हैरण्यवत् और हैमवत क्षेत्र में जघन्य भोगभूमि या सुखमा-दुःखमा काल रहता है
देवकुरु, उत्तरकुरु में उत्कृष्ट भोगभूमि या सुखमा-सुखमा काल रहता है
हरी और रम्यक क्षेत्र में मध्यम भोगभूमि या सुखमा काल रहता है
म्लेच्छखंड और विजयार्द्ध पर्वत पर दुःखमा-सुखमा यानि चतुर्थ काल रहता है
हमने जाना कि कहीं कहीं मध्यलोक की भूमियाँ के काल के अनुसार ही नरक और स्वर्ग में भी काल के विभाजन का उल्लेख मिलता है
नरकों में दुःखमा-दुःखमा काल
और स्वर्गों में सुखमा-सुखमा काल समझा जा सकता है
जम्बूद्वीप की तरह ही धातकीखंड के भरत-ऐरावत क्षेत्रों में भी काल परिवर्तन की व्यवस्था होती है
सूत्र बत्तीस - भरतस्य विष्कम्भो जंबूद्वीपस्य नवतिशतभागाः से हमने जाना कि भरत क्षेत्र का विस्तार जम्बूद्वीप का एक सौ नब्बेवां भाग है
पहले हमें देखा कि भरत क्षेत्र का accurate माप पाँच सौ छब्बीस सई छह बटे उन्नीस योजन है
यहाँ छह बटे उन्नीस का मतलब है योजन के उन्नीसवें भाग का छह गुना
इसी को दूसरे ढंग से जम्बूद्वीप के विष्कम्भ का एक सौ नब्बे वां भाग भी कहते हैं
सूत्र तेतीस द्विर्धातकीखण्डे में हमने द्वित्तीय द्वीप धातकीखंड के बारे में जाना
यह जंबूद्वीप के बाद लवण समुद्र लांघने के बाद आता है
घातकीखंड द्वीप में भी सुमेरू हैं, देवकुरु, उत्तरकुरु हैं
वहाँ विदेह की ऊपर वाली भोगभूमि उत्तरकुरु में धातकी नाम का वृक्ष होता है
इसी के नाम पर द्वीप का नाम धातकीखंड द्वीप है