श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 47

सूत्र -31,32,33,34,35

Description

सभी महापुरुष कूर्मोन्नत योनि में उत्पन्न होते हैं l गर्भ-जन्म के भेद l तीनों गर्भ जन्म में अन्तर l अण्डज भी गर्भ जन्म वाले कहलाते हैं l चींटियों का जन्म अण्डे से नहीं होता l सम्मूर्छन जन्म नर मादा के बिना अकेले होगा l पोत जन्म वाले जीव l उपपाद-जन्म के स्वामी l सम्मूर्च्छन-जन्म के स्वामी l सूत्रों का क्रम scientific है l

Sutra

सम्मूर्च्छनगर्भोपपादा जन्म।l31ll

सचित्त-शीत-संवृताः सेतरा मिश्राश्चैकशस्तद्योनयः।l32।l

जरायुजांडज-पोतानां-गर्भ:।।33।।

देव-नारकाणामुपपाद:।l34।l

शेषाणां सम्मूर्च्छनम्।।35।।

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WINNERS

Day 47

04th July, 2022

Karuna jain

Delhi

WIINNER- 1

Lavanya Jain

Pune

WINNER-2

Preeti Jain

Ashta Jila Sihor MP

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

नारकियों का जन्म कौनसा होगा?

  1. अण्डज जन्म

  2. जरायुज जन्म

  3. उपपाद जन्म *

  4. संमूर्च्छन जन्म

Abhyas (Practice Paper):

Summary


  1. सूत्र बत्तीस के व्याखान में हमने आकृति के अनुसार योनियों को जाना

    1. शंखावर्त योनि में शंख के सामान आवर्त्त होते हैं

      • इसमें कभी गर्भ ठहरता नहीं है

      • और उसमें उत्पन्न होने वाला जीव मर जाता है

    2. कूर्मोन्नत योनि कछुए की पीठ के समान ऊपर उठी हुई योनि होती है

      • तीर्थंकर, बलदेव, वासुदेव और चक्रवर्ती आदि जैसे सभी महापुरुष कूर्मोन्नत योनि में उत्पन्न होते हैं

    3. वंशपत्र योनि की आकृति बाँस के पत्ता जैसी होती है


  1. सूत्र तेतीस जरायुजांडज-पोतानां-गर्भ: में हमने गर्भ जन्म के तीन भेदों को जाना

    • "ज" शब्द व्याकरण के अनुसार उत्पत्ति के अर्थ में होता है

    • जो जरायु से उत्पन्न होते हैं, उन्हें जरायुज कहते हैं

      1. जन्म के समय पर जिनके जरा अर्थात माँस और रक्त की एक झिल्ली जैसा आवरण ऊपर लगा रहता है और इसे बाद में हटाया जाता है उन्हें जरायुज कहते हैं

      2. जैसे मनुष्य, गाय, बैल etc

    • जो अण्डे से उत्पन्न होते हैं उन्हें अण्डज कहते हैं

      1. अण्डे नर और मादा के संयोग से ही होते हैं

      2. जैसे तोता, मैना, कोयल, कबूतर आदि

    • जन्म लेते ही जिनके अवयव पूर्ण हो यानि

      1. जो जन्म लेते ही जो दौड़ने लग जाएँ, कूदने लग जाएँ

      2. और जिनमें जरायु होती है

      3. उन्हें पोत जन्म वाला जीव कहते हैं

      4. जैसे कि हिरण, शेर आदि

  1. हमने जाना कि चींटी आदि के अण्डे नहीं होते हैं

    • वास्तव में अण्डे उसी के होंगे जिनके साथ में नर और मादा का संयोग होगा

    • चींटी, मकड़ी, दीमक आदि का सम्मूर्छन जन्म होता है

      1. जिसमें नर मादा के संयोग की जरूरत नहीं है

      2. इनकी उत्पत्ति कहीं पर भी दीवाल, फर्श आदि के सन्धि-स्थान, गन्दगी या मैल आदि में बिना अण्डे के, सम्मूर्च्छन रूप में हो जाती है


  1. सूत्र चौंतीस देव-नारकाणामुपपाद: से हमने जाना कि देव और नारकियों का उपपाद जन्म होता है

  2. सूत्र पैंतीस शेषाणां सम्मूर्च्छनम् के अनुसार शेष बचे हुए सभी जीव सम्मूर्च्छन जन्म वाले हैं


  1. जो जीव हमें जगत में प्रत्यक्ष दिखते वे गर्भज या सम्मूर्च्छन होते हैं

  2. हमने देखा कि सूत्रों का क्रम scientific है

    • पहले विग्रह-गति

    • फिर योनि

    • और फिर जन्म

    • आगे आएगा जन्म के बाद मिलने वाले शरीर का वर्णन