श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 35
सूत्र - 25
सूत्र - 25
सूक्ष्म स्थूल के उदाहरण। विश्व की प्रत्येक चीज चार स्कन्धो में विभाजित है। भाषा वर्गणाएँ स्थूल सूक्ष्म है। हम शब्द को नहीं अर्थ को पकड़ते हैं। स्कन्धो के बाद अणु शुरू होता है।
अणवःस्कंधाश्च ॥5.25॥
Dezy Jain
Firozabad
WINNER-1
Usha Jain
Thakurganj
WINNER-2
Mayurakshi Jain
Modinagar
WINNER-3
निम्न में से कौनसा इंद्रियों का विषय नहीं होगा?
स्थूल स्थूल
स्थूल
स्थूल सूक्ष्म
सूक्ष्म सूक्ष्म*
हमने छह प्रकार के स्कंधों में स्थूल-स्थूल, स्थूल, स्थूल-सूक्ष्म और सूक्ष्म-स्थूल के बारे में जाना
चाशनी का मीठापन हमारी धारणा में होता है
यदि उसमें कुछ कडवा मिला दिया जाये तो वह हमें देखने से पता नहीं चलेगा
अतः रस बिना इन्द्रिय संपर्क के नहीं जान सकते
इसलिए आँखों से न दिखने वाले रस, गंध अथवा स्पर्श गुण की प्रधानता वाले स्कंध सूक्ष्म-स्थूल होते हैं
जैसे स्पर्श से जानने में आने वाली हवा
और गंध से जानने में आने वाली गैस
पाँचवाँ स्कंध प्रकार है सूक्ष्म यानि only subtle
ये देखने और पकड़ने में नहीं आते हैं
जैसे कर्म परमाणु, शब्दों की भाषा वर्गणाएँ, मन की मनोवर्गणाएँ
औदारिक शरीर की वर्गणाएँ भी सूक्ष्म हैं
शरीर में हमें सिर्फ अवयव पकड़ में आते हैं
स्कंध का अंतिम प्रकार है सूक्ष्म सूक्ष्म
इसमें कर्म वर्गणाओं से नीचे परमाणु तक आने के बीच की सभी वर्गणाएँ आती हैं
ये कर्म से भी सूक्ष्म हैं
हमने जाना कि आचार्यों ने एक दृष्टि में समस्त पुद्गलों का classification छह भेदों में कर दिया है
यह कार्य सर्वज्ञ ही कर सकते हैं
हमारे देखने और भोगने वाले, इन्द्रियों के विषय पहले चार प्रकार के स्कंधों में ही आ जाते हैं
जो दिखायी नहीं देते लेकिन काम करते हैं वो सूक्ष्म और सूक्ष्म-सूक्ष्म हैं
इन्हें हम आगम और श्रद्धान से समझते हैं
विज्ञान कभी perfect classification नहीं कर पाया
उसने बस बहुत कुछ जान लिया और बता दिया
उसके अनुसार पदार्थ ठोस, द्रव या गैस होते हैं
किन्तु छाया, light, darkness न तो ठोस है और न ही द्रव या गैस
scientists की knowledge senses पर dependent है
उनका ज्ञान senses के beyond, अनिन्द्रिय नहीं है
इसलिए वे सब चीजों को एक साथ जानकर classify नहीं कर सकते
जीव का स्वरुप पुद्गल से भिन्न है
वह गर्भ में कर्मों के कारण से स्वयं अपना शरीर बनाता है
शरीर बनाने योग्य material उसे अपने योगों से, नामकर्म से और पर्याप्ति, प्राणों के कार्य से मिलता है
ऐसा करते हुए उसका शरीर स्थूल बन जाता है
उसमें रक्त, चर्म आदि दिखायी देने लगता है
पर raw material invisible रहता है
वो सूक्ष्म होता है
हम वचन की पुद्गल भाषा वर्गणाओं को पकड़ नहीं पाते हैं
उनकी सिद्धि अनुमान से होती है
क्योंकि वचन कानों से सुनाई देते हैं
शब्द पुद्गल ही होते हैं
क्योंकि वे पुद्गल से बाधित होते हैं
हवा उन्हें उड़ा ले जाती है
science के अनुसार भी शब्द से शब्द बाधित होते हैं
दस लोगों में आवाज अंत तक पहुँचते-पहुँचते ही बाधित हो जाती है
शब्द पुद्गल की सूक्ष्म-स्थूल पर्याय है
जो हमेशा क्षणवर्ती रहती है
कान के पर्दे के पास पहुँचकर उसका अस्तित्व नहीं रहता
बाद में सिर्फ हमारा ज्ञान और धारणा ही रह जाती है
atom, atomic field, quantum energy आदि सभी पुद्गल के सूक्ष्म भेदों में समा जाते हैं
लेकिन विज्ञान की पकड़ सूक्ष्म और सूक्ष्म-सूक्ष्म स्कन्धों तक नहीं होती
जिसे science atom समझता है वह परमाणु नहीं है
परमाणु तक पहुँचने के लिए उसे पहले स्कन्धों को ठीक से समझना होगा
Science नहीं जान पाया कि body formation कैसे होता है?
इसका raw material क्या है?
वो सिर्फ इसे dissect करके उसके गुणा भाग करता है
शरीर को बनाने वाले अनन्तानन्त पुद्ग्रल परमाणुओं के स्कन्ध
जो सूक्ष्म रूप परिणमन कर रहे हैं
उनसे भी वह अनभिज्ञ है
तो सूक्ष्म-सूक्ष्म रूप परिणमन कर रही कर्म वर्गणाओं से भी सूक्ष्म
अणु तक उसकी पकड़ नहीं होगी