श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 33
सूत्र - 23,24
Description
स्पर्श-रस-गंध-वर्ण के भेद। दुनिया की पर्यायें दस चीजों से घटित होती है।
Sutra
स्पर्श-रस-गंध-वर्णवन्त:पुद्गला:॥5.23॥
शब्द-बन्ध-सौक्ष्म्य-स्थौल्य-संस्थान-भेद-तमश्छाया-तपोद्योत-वन्तश्च ॥5.24॥
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WINNERS
Day 33
19th May, 2023
अनुराधा वग्यणी
आष्टा
WINNER-1
Prem Bansal
(Mandsor Jila)
WINNER-2
Saroj Jain Jhanjari
Chhindwara
WINNER-3
Sawal (Quiz Question)
मेघों की गड़गड़ाहट कौनसी अभाषा होती है?
सुषिर
अक्षरात्मक
वैस्रसिक*
घन
Abhyas (Practice Paper):
Summary
सूत्र तेईस में हमने जाना कि स्पर्श, रस, गंध और वर्ण पुद्गल के लक्षण हैं
स्पर्श सबसे पहला गुण है
जो परमाणु में भी होता है
ये व्यापक है
अन्य गुण इसमें समाहित हैं
स्पर्श गुरू, लघु, मृदु, कठोर, ठंडा, गर्म, रूखा, चिकना आठ प्रकार के होते हैं
रस खट्टा, मीठा, कसैला, तीखा और कड़वा होता है
गंध सुगंध और दुर्गंध दो प्रकार की होती है
वर्ण काला, पीला, नीला, लाल, सफेद होता है
ये स्थूल है
क्योंकि न दिखने वाली गैसें भी स्पर्श आदि से जानी जाती हैं
यह स्पर्श से वर्ण तक पुद्गल की यात्रा निरन्तर चलती है
इन गुणों को धारण करने वाला ही पुद्गल है
अन्य सभी अमूर्त है, formless है
विज्ञान उन्हें dark matter कहता है
सूत्र चौबीस शब्द-बन्ध-सौक्ष्म्य-स्थौल्य-संस्थान-भेद-तमश्छाया-तपोद्योत-वन्तश्च में हमने पुद्गल की दस पर्यायें जानी
इन्हीं में दुनिया की सभी चीजें घटित हो जाती हैं
पहली पर्याय शब्द है
ये भाषा वर्गणाओं से बनता है
और कर्ण इन्द्रिय द्वारा ग्राह्य होता है
शब्द भाषा और अभाषा रूप होते हैं
अक्षर सहित भाषा अक्षरात्मक
और बिना अक्षर की भाषा अनक्षरात्मक होती है
संज्ञी पंचेन्द्रियों में अक्षरात्मक
और दो इन्द्रिय से लेकर असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय के जीवों में अनक्षरात्मक भाषा होती है
अभाषा वैस्रसिक और प्रायोगज होती है
वैस्रसिक अभाषा भाषा नहीं, ध्वनियाँ हैं जैसे मेघों की गड़गड़ाहट आदि
प्रायोगज अभाषा में अभाषात्मक प्रायोगिक चीजें प्रयोग होती है
जैसे तत में drum, ढोलक
वितत में violin, वीणा
घन में घण्टे, मंजीरा
और सुषिर में बांसुरी
दूसरी पर्याय बंध है
वैस्रसिक बंध में स्कन्ध अपने आप बंध कर बनते रहते हैं
जैसे atmosphere में हो रहे chemical reaction
प्रायोगिक बंध में हम laboratory आदि में प्रायोगिक कार्य करते हैं
पन्ने से पन्ना चिपकाना अजीव-अजीव बंध हो गया
और जीव से कर्म और नोकर्म चिपकना जीव-अजीव बंध हो गया
तीसरी और चौथी पर्यायें हैं
सौक्ष्म्य यानि fineness
और स्थौल्य यानि grossness
ये compare करके ही समझ आती है
जैसे नारियल की अपेक्षा नारंगी सूक्ष्म है
और नारंगी से नींबू सूक्ष्म है
ये सापेक्षिक और अत्यन्तिक होते हैं
ये सूक्ष्म और स्थूल रूप परिणमन पुद्गल में ही घटित होते है
पाँचवीं पर्याय है संस्थान मतलब आकार
इत्थंभूत संस्थान की shape बता सकते हैं जैसे चौकोर, त्रिकोण
अणित्थंभूत संस्थान में तरीके की shape नहीं होती जैसे बादल
यह भी पुद्गल का ही formation है
और shape उसका रूप है
छटवीं पर्याय भेद है
जैसे लकड़ी का बुरादा उत्कर है
पिसा अनाज चूर्ण है
टूटे घड़ा के piece खण्ड हैं
दली हुई दालें चूर्णिका हैं
पटल के fraction प्रतर हैं
गर्म लोहे पर मारे हथोड़े से निकलती स्फुलिंगे अणुचटन हैं
ये सब भेद पुद्गल की ही पर्याय हैं
पुद्गल की सातवीं पर्याय है तम मतलब अंधकार
यह प्रकाश का विरोधी है
जहाँ प्रकाश का अभाव है वहाँ अंधकार है
पुद्गल की आठवीं पर्याय है छाया मतलब shadow
ये प्रकाश के निमित्त से होती है
वर्ण विकार छाया में रंग वास्तविक रंग से अलग हो जाता है
जैसे photo आदि में
प्रतिबिम्बात्मक छाया शीशे, पानी में बनती है
पुद्गल की अंतिम दो पर्यायें आतप और उद्योत हैं
सूर्य के प्रकाश में आतप
और चन्द्रमा, जुगनू के प्रकाश में उद्योत होता है
आतप आँखों को चुभता है
और उद्योत अच्छा लगता है
सूर्य के विमानों की outer surface पर आतप नामकर्म वाले जीव उत्पन्न होते रहते हैं
उद्योत नामकर्म के कारण से जुगनू आदि को चमक वाले शरीर प्राप्त होते हैं
वन्त संस्कृत का मतुप् प्रत्यय है यानि ये सभी दस चीजें पुद्गल रूप ही हैं