श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 09

सूत्र - 07,08

Description

अनन्त को भी जानो सम्मेद शिखर जी से कोटि-कोटि मुनिराज कितने काल में मोक्ष गए? शाश्वत का अर्थजैन गणित को समझने के लिए असंख्यात और अनन्त को समझना जरूरी हैजैन गणित को पढ़ों और आगे की पीढ़ी तक पहुँचाओजम्बूद्वीप थाली के आकार का और शेष द्वीप-समुद्र वलयाकार हैंविभिन्न समुद्रों के पानी का स्वादकरणानुयोग स्वाध्याय से लाभ

Sutra

जम्बूद्वीप-लवणोदादयःशुभनामानो द्वीप-समुद्राः॥07॥

द्विर्द्विर्विष्कम्भाः पूर्व-पूर्व परिक्षेपिणो वलयाकृतयः॥08॥

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WINNERS

Day 09

05th October, 2022

Pravin Nilkhe

Nasik

WIINNER- 1

Sunanda pallkhe

Sangali

WINNER-2

Shalini jain

Bokaro

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

इक्षुवर द्वीप समुद्र के पानी का स्वाद कैसा है?

शहद जैसा मीठा

पानी जैसा

दूध जैसा

गन्ने जैसा*

Abhyas (Practice Paper):

https://forms.gle/MnEugjs6s8ShNDZ2A

Summary

  1. हमने देखा कि हम विज्ञान की बातों को theory और किताबों के आधार पर मान लेते हैं

    • परन्तु धर्म के मामले में हम उसमें विज्ञान ढूँढते हैं

    • जो हमें mobile या internet आँखों पर दिखता देता है, उसी को मानते हैं

    • लेकिन उसके अलावा भी दुनिया में बहुत कुछ है

    • जब science दो सूरज बताता है तो हम मान लेते हैं

    • हमें अपनी बुद्धि को विस्तारित करने के लिए जैन भूगोल को भी समझना चाहिए


  1. नई छहढ़ाला में हम पढ़ते हैं और मानते हैं 'तीन लोक में जीव अनन्त', पर हमें उनका visualization भी होना चाहिए

    • कि अनंत कैसे?


  1. हमने जाना कि सम्मेदशिखर सिद्धक्षेत्र और अयोध्या नगरी, जो भगवानों का जन्म क्षेत्र; शाश्वत हैं

    • अर्थात ये आज भी है, इससे पहले भी थे, उससे पहले भी थे

    • तीर्थंकर वर्धमान के समय भी थे, तीर्थंकर पार्श्वनाथ के समय भी थे, प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ के समय भी थे

    • हर एक तीर्थंकर के time के बीच में gap अलग-अलग हो सकता है


  1. हम जानते हैं सम्मेद शिखर की एक-एक टोंक से कोड़ा-कोड़ी (करोड़ गुना करोड़) मुनि महाराज मोक्ष गए

    • यह अतिश्योक्ति लगती है

    • लेकिन अगर देखें तो एक तीर्थंकर से दूसरे तीर्थंकर का काल असंख्यात वर्षों का हो सकता है

    • इतने बड़े काल में यदि कोड़ा-कोड़ि मुनि महाराज एक टोंक से मोक्ष हुए भी तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं लगती


  1. जैन गणित को समझने के लिए असंख्यात और अनन्त को समझना जरूरी है

    • मुनिश्री समझाते हुए कहते हैं कि आज के पढ़े-लिखे जैन बच्चे जिस तरीके से science पढ़ते हैं, उसी तरीके से जैन mathematics भी पढ़ना सीखें और उसे दूसरों के सामने लाकर अच्छे ढंग से बताने की कोशिश करें


  1. हमने जाना कि जम्बूद्वीप थाली के आकार का है और शेष द्वीप-समुद्र वलयाकार, ring type हैं

  2. हर समुद्र का विस्तार पिछले द्वीप से और हर द्वीप का विस्तार पिछले समुद्र से दुगुना-दुगुना है

  3. शास्त्रों में विभिन्न समुद्रों के पानी का स्वाद का भी वर्णन आता है

    • लवण समुद्र का taste तो लवण जैसा है

    • कालोदधि समुद्र और अन्तिम स्वयंभूरमण समुद्र का taste पानी जैसा है

    • पुष्कर द्वीप समुद्र का स्वाद honey जैसा मीठा और पानी जैसा भी है

    • आगे के समुद्रों जैसे घृतवर द्वीप आदि सब पानी जैसे हैं

    • इक्षुवर द्वीप और उसके आगे के जितने भी समुद्र हैं, ये सभी इक्षुरस यानी गन्ने के स्वाद वाले हैं


  1. हमने जाना करणानुयोग में हमें हर चीज एक व्यवस्थित ढंग से सुनने-पढ़ने को मिलती है

    • इस तरह सर्वज्ञ प्रणीत व्यवस्थित चीजों में अपना ज्ञान लगाने से उनमें कभी राग-द्वेष नहीं होता

    • और उतनी देर तक हमारे परिणाम राग-द्वेष से रहित होते हैं

    • घर की या जहाँ हम घूमने जाते हैं उन पर्वत, नदी, समुद्र की बातें करने से राग-द्वेष होता है