श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 19

सूत्र - 16

Description

आत्मा के संकोच विस्तार स्वभाव को दीपक के उदाहरण के उदाहरण से समझिएआत्म प्रदेशों का निम्नतम संकोचव्यवहार में जीव का संकोच और विस्तार स्वभाव हैजैसे मिट्टी में पानी वैसे जीव में कर्मसिद्धों में संकोच और विस्तार नहीं होता हैदीपक के उदाहरण से संकोच और विस्तार को समझते है         

Sutra

प्रदेशसंहार- विसर्पाभ्यां प्रदीपवत् ॥5.16॥ 

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WINNERS

Day 19

26st Apr, 2023

Vatsalya Jain

Sagar 

WINNER-1

Ekta Jain

Deoband Saharanpu

WINNER-2

Sushilathote

Ashta

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

निम्न में से कौनसा जीव संकोच विस्तार नहीं करेगा?

Abhyas (Practice Paper):

https://forms.gle/WbGmU7EjBC7a18oj8  

Summary

4. निगोद जीव का ज्ञान सर्व जघन्य होता है

5. हमने जाना कि जीव का वास्तविक परमार्थ स्वभाव संकोच या विस्तार करना नहीं है 

6. ऐसा भी नहीं है कि जीव स्वाभाव से विस्तार करता रहता है 

7. सिद्धावस्था में जीव की अवगाहना

8. जैसे जब तक मिट्टी में पानी होता है 


9. हमने जाना कि सिद्धों में संकोच और विस्तार नहीं होता 

10. अयोग केवली अवस्था में योगों से रहित होने पर