श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 17

सूत्र - 16,17,18,19

Description

प्रथम सरोवर की गहराई। प्रथम सरोवर और कमल की विशेषता। द्वितीयादि सरोवरों और कमलों का विस्तार। उत्तर के लोक दक्षिण के बराबर होते हैंआगे के पुष्कर और हृदों का प्रमाणसरोवरों का सौंदर्यकमलों के ऊपर महल निर्मित हैंक्या कमल को पृथ्वीकायिक मान ले? मुनिश्री का चिन्तन-पुष्कर को जल कमल क्यों बोलते हैं?


Sutra

दश-योजनावगाहः ॥16॥

तनमध्ये योजनं पुष्करं”॥17॥

तद्-द्विगुण-द्विगुणा हृदाः पुष्कराणि च ॥18॥

उत्तरा दक्षिण तुल्या:”।l19।l

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WINNERS

Day 17

17th October, 2022

Seema Jain

Madhya Pradesh

WIINNER- 1

ब्र. उषा दीदी

चांदखेड़ी

WINNER-2

Lalita jain bohra in

Hazaribagh

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

कमलों के तल कैसे हैं?

वज्रमय*

स्वर्णमय

रजतमय

मणिमय

Abhyas (Practice Paper):

https://forms.gle/ty7NtHrxGHnQCe3x5

Summary

  1. जम्बूद्वीप की संरचना समझते हुए हमने कुलाचल पर्वतों पर स्थित पद्म सरोवरों के बारे में जाना

  2. सूत्र 15 में हमने जाना कि पहले हृद

    • का आयाम यानि पूर्व-पश्चिम में लम्बाई एक हज़ार योजन है

    • इसका विष्कम्भ यानि चौडाई पाँच सौ योजन है

    • सूत्र सोलह दश-योजनावगाहः के अनुसार इसकी अवगाहना यानि गहराई दस योजन है

  3. सूत्र सत्रह - तनमध्ये योजनं पुष्करं में हमने जाना कि पहले सरोवर के बीचों-बीच में एक पुष्कर है

    • एक जल कमल है

    • वह कमल एक योजन का है

    • उसकी कर्णिका दो कोस की है

    • एक कोस के उसके अनेक पत्ते हैं

    • एक कमल को घेरे उसके साथ आधी ऊंचाई के १०८ कमल और होते हैं ऐसा उल्लेख अन्य ग्रंथों में मिलता है

    • इस सरोवर में सभी कमलों की संख्या एक लाख चालीस हज़ार एक सौ पंद्रह होते है


  1. सूत्र अठारह तद्-द्विगुण-द्विगुणा हृदाः पुष्कराणि च के अनुसार प्रत्येक हृद और उसके अन्दर के पुष्कर की dimension दूनी हो जाती है जैसे

    • दूसरा महापद्म दो हजार योजन लम्बा, एक हजार योजन चौड़ा और बीस योजन गहरा होगा

    • तीसरा तिगिंछ चार हजार योजन लम्बा, दो हजार योजन चौड़ा और चालीस योजन गहरा होगा

  2. चौथे, पांचवें और छटवें के dimensions क्रमशः तीसरे, दूसरे और पहले के बराबर होंगे

    • क्योंकि आगे आने वाले सूत्र छब्बीस - उत्तरा दक्षिण तुल्या: के अनुसार उत्तर और दक्षिण की रचनाएं बराबर होंगी

    • विदेह क्षेत्र के नीचे दक्षिण और ऊपर उत्तर हो गया

  3. अर्थात

    • चौथा केशरी चार हजार योजन लम्बा, दो हजार योजन चौड़ा और चालीस योजन गहरा होगा

    • पांचवाँ महापुण्डरीक दो हजार योजन लम्बा, एक हजार योजन चौड़ा और बीस योजन गहरा होगा

    • और अंतिम पुण्डरीक एक हज़ार योजन लंबा, पाँच सौ योजन चौड़ा और दस योजन गहरा होगा

  4. हमने जाना कि जैसे आगे के हृद के dimensions दुगने होते जाते हैं उसी तरह उनके अन्दर के पुष्कर का आयाम भी दोगुना होगा

    • जो क्रमशः एक, दो, चार, फिर चार, दो और एक योजन होगा

    • परन्तु हर एक कमल के पास में 108 कमल और पूरे सरोवर में एक लाख चालीस हज़ार एक सौ पंद्रह कमल ही रहेंगे

  5. आचार्यों ने सरोवरों के सौंदर्य का वर्णन बड़ा ही सुन्दर दिया है

    • ये अकृत्रिम रचनायें हैं तो इसमें जल कभी गन्दा नहीं होता

    • ये बड़े स्वच्छ हैं, निर्मल जल से भरे हुए हैं

    • इनके अन्दर के कमल की सुन्दरता के कारण ऐसा प्रतीत होता है जैसे आकाश की सारी निर्मलता जमीन पर आ गई है

    • इन कमलों के ऊपर महल निर्मित हैं

    • इन कमलों का तल वज्रमय है, नाल मणिमय है, बाहरी पत्ते स्वर्णमय और अन्दर वाले रजतमय हैं

    • अनेक तरह की मणियों के इनके स्कन्ध हैं, पत्तों के रंग हैं

    • ये सब अलग-अलग मणियों की तरह बिल्कुल सुशोभित हो रहे हैं

  6. ये सब चीजें दिमाग में एक प्रश्न खड़ा करती है कि क्या यह कमल पृथ्वीकायिक है?

  7. हम आगे इस विषय पर पूज्य श्री का चिंतन भी जानेंगे