श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 24

सूत्र - 24,25,26,27

Description

स्त्रियों के लगभग 14 प्रकार के आभूषण और पुरुषों के 16 प्रकार के आभूषण बताए गए हैंभोगभूमि के निर्विकल्प सुख का परिणाम देवगति की प्राप्तिआभूषण कौन कौन से होते हैं? निन्दा और प्रशंसा से अपनी लेश्याएँ बिगड़ती हैंसंक्लेश कम करना हम भोगभूमि के जीवों से सीखेंभोगभूमि में जन्म और मृत्यु की व्यवस्थाएँभोगभूमि में हमेशा air conditioner जैसा वातावरण रहता हैभोगभूमि में बालक के विकास की अद्भुत प्रक्रियाकलाएँ और गुण प्रकट होने में कितने दिन लगते हैं

Sutra

भरत: षड्विंशति-पंच-योजन-शत विस्तार:षट्चैकोनविंशतिभागा योजनस्य॥3.24॥

‘तद्द्विगुण-द्विगुण-विस्तारा वर्षधर-वर्षा विदेहान्ता:॥3.25॥

उत्तरा दक्षिण तुल्या:॥3.26॥

भरतैरावतयो-र्वृद्धिह्रासौ षट्समयाभ्यामुत्सर्प्पिण्यवसर्पिणीभ्याम्॥3.27॥

Watch Class 24

WINNERS

Day 24

02nd November, 2022

आशा जैन झांबरे

पुणे

WIINNER- 1

Aryan Jain

Bhopal

WINNER-2

Jayshri Shroff

Vadodara

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

जघन्य भोगभूमि के जीव को बैठना सीखने में कितने दिन लगते है?

5 दिन

6 दिन

7 दिन

14 दिन*

Abhyas (Practice Paper):

https://forms.gle/zCxUbLaoUQvBxzup6

Summary


  1. हमने अलग-अलग भोगभूमियों के जीवों के भोजन, आयु और अवगाहना के बारे में जाना

    • उत्कृष्ट भोगभूमि के जीव

      1. तीन दिन बाद एक बार बेर जितना भोजन करते हैं

      2. इनकी आयु तीन पल्य

      3. और अवगाहना छह हजार धनुष होती है

    • मध्यम भोगभूमि के जीव

      1. दो दिन बाद एक बार बहेड़ा फल जितना भोजन करते हैं

      2. इनकी आयु दो पल्य

      3. और अवगाहना चार हजार धनुष होती है

    • जघन्य भोगभूमि के जीव

      1. एक दिन बाद एक बार आँवले जितना भोजन करते हैं

      2. इनकी आयु एक पल्य

      3. और अवगाहना दो हजार धनुष होती है


  1. भोगभूमि में सुखों की इच्छा कल्पवृक्ष से पूरी होती है

    • यहाँ स्त्री और पुरुष के जोड़े की जिन्दगी सुख से बीतती है

    • इसलिए उनकी लेश्या हमेशा शुभ रहती हैं

    • और उन्हें देवगति प्राप्ति होती है

  2. सम्यग्दृष्टि नियम से सौधर्म और ईशान स्वर्ग का देव बनते हैं

    • और मिथ्यादृष्टि जीव भवनवासी, व्यन्तरवासी, ज्योतिषी देव बन सकता है


  1. हमने चौदह प्रकार के आभूषण के बारे में जाना जो स्त्री पुरुष में समान होते हैं

    • कुण्डल

    • अंगद यानि armlet

    • हार

    • माथे के ऊपर मुकुट

    • कलगीदार मुकुट, केयूर

    • आभूषणों के रूप में ऊपर से दुशाला, ओढ़ना, शाल, पट्ट

    • पैरों में पहनने वला कडा, कटक

    • गले में माला या प्रालम्ब

    • छोटी-छोटी, पतली-पतली मालाएँ - सूत्र जैसे सफेद-सफेद यज्ञोपवीत वगैरह

    • नूपुर यानि घुँघरू

    • अंगूठी

    • एक तरीके से करधनी मेखला

    • गले में पट्टादार ग्रेवेक

    • कान में कर्णपूर


  1. पुरुष के छुरी और तलवार मिलाकर कुल सोलह प्रकार के आभूषण होते हैं

  1. शास्त्रानुसार ये कभी पर-निन्दा और आत्म-प्रशंसा नहीं करते हैं इसलिए इन्हें देवायु का बन्ध होता है

  2. निन्दा और प्रशंसा दुनिया से ज्यादा जुड़ने से होती है

    • इनसे लेश्याएँ बिगड़ती हैं

    • और आदमी संक्लेश को प्राप्त होता है


  1. जब हम दूसरों की चिन्ताओं से मुक्त होंगे तो शुभ लेश्या, शुभ भाव रहेंगे

  1. भोगभूमि में कषायों को उत्पन्न करने के बाहरी वातावरण ही नहीं है

    • बिल्कुल pleasant weather होता है

    • न कभी कोई कष्ट होता, न कोई पसीना, न कोई थकान


  1. इसलिए कषायें मन्द रहती हैं

  2. जीवन में बस खाना-पीना, आराम से सोना और निश्चिंत होकर आयु पूर्ण करना है

  3. असी, मसी, कृषि, वाणिज्य, शिल्प, विद्या छह कर्म भी वहाँ नहीं होते हैं

  1. उत्कृष्ट, मध्यम और जघन्य भोगभूमि के जीव एक ही समान रहते हैं

    • उनकी अवगाहना, ऊँचाइयाँ और आयु, भोजन करने के तरीके में थोड़ा अन्तर होता है


  1. इनका शरीर औदारिक होता है

  2. और इसलिए जन्म गर्भज होता है

  3. मृत्यु से नौ महीने पहले ही गर्भ ठहरता है

  4. दोनों की मृत्यु और उत्पत्ति एक ही साथ होती है

  1. भोगभूमि में जन्म लेने के बाद सात step में वह जीव पूरा हो जाता है

    • पहला अँगूठा चूसना

    • दूसरा बैठना

    • तीसरा थोड़ा-सा लड़खड़ा कर चलना

    • चौथा ढंग से चलना

    • पाँचवां कलाएँ और गुण प्रकट होना

    • छटवाँ सम्यक्त्व के योग्य होना

    • और सातवाँ युवा होना

    • इसके पश्चात् वह जैसा है वैसा ही रहेगा


  1. उत्तम भोगभूमि में हर step तीन दिन में पूरा होता है

    • मध्यम में पाँच दिन

    • और जघन्य में सात दिन में

    • यानि 21, 35 और 49 में क्रमशः जीव यौवन प्राप्त कर लेता है