श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 43

सूत्र -28,29,30

Description

त्रस नाड़ी में त्रस जीव ही रहते है l लोक में कहीं भी तीन विग्रह या चार समय से अधिक जन्म लेने में नहीं लगता l समय की सूक्ष्मता का ज्ञान l जैन लोग मरने के बाद आत्मा भटकती है ऐसी मिथ्या धारणा को दूर करे l कोई भी जीवात्मा अधिक से अधिक तीन समय तक बिना शरीर के रह सकती है l निष्कुट क्षेत्र त्रस नाड़ी के बाहर के स्थानों को कहते हैं l सिर्फ निष्कुट क्षेत्र में जन्म के लिए तीन मोड़ लगते हैं l निष्कुट क्षेत्र से निष्कुट क्षेत्र में जन्म लेने की प्रक्रिया l अविग्रह गति किसे कहते हैं? एक समय में १४ राजू तक की दूरी भी तय हो जाती है l

Sutra

विग्रहवती च संसारिणः प्राक् चतुर्भ्यः।l28।l

एकसमयाऽविग्रहा।l29।l

एकं द्वौ त्रीन्वानाहारकः।।30।।

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WINNERS

Day 43

27th June, 2022

Sunita Balasaheb Chougule

Miraj

WIINNER- 1

Manju jain

Indore

WINNER-2

विभा बंडी

Surat

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

अविग्रह गति में कितना समय लगता है?

  1. एक समय *

  2. दो समय

  3. तीन समय

  4. चार समय

Abhyas (Practice Paper):

Summary


  1. विग्रहगति को समझते हुए हमने तीन लोक के नक़्शे हो भी समझा

  2. तीन सौ तैंतालीस घन राजू प्रमाण लोक की रचना तीन turn लेकर के बनती है

  3. जिसके बीचों बीच में चौदह राजू प्रमाण की चौकोर आकार की त्रस नाड़ी है

    • त्रस जीव केवल त्रस नाड़ी में ही रहते हैं


  1. इसके के बाहर का स्थान लोक का स्थान है

    • जिसमें स्थावर जीव होते हैं


  1. हमने जाना कि जीवों का जन्म-मरण त्रस नाडी और लोक के स्थान में कहीं से कहीं भी हो सकता है

  2. जीव लोक में कहीं भी अधिक से अधिक तीन विग्रह या चार समय में जन्म ले लेगा

    • कोई भी जीव अधिक से अधिक तीन समय तक बिना शरीर के रह सकता है

    • तीन समय भी किन्हीं विशेष जीवों के साथ ही घटित होते हैं

    • अन्यथा त्रस नाड़ी के अन्दर जन्म-मरण में तो दो समय से ज्यादा नहीं लग सकते

      1. जैसे त्रस नाड़ी के अन्दर ऊपर तक गया और वहाँ से एक मोड़ा लेकर जहाँ side में उसको जाना है गया

      2. दो मोड़े के लिए पहले मोड में नीचे जिस स्थान तक जाना है आया और फिर दूसरे मोड़े में side में गया


  1. हमने जाना कि निष्कुट क्षेत्र त्रस नाड़ी के बाहर गहराई वाला एक आड़ा-तिरछा स्थान है

    • सिर्फ निष्कुट क्षेत्र से निष्कुट क्षेत्र में जन्म लेने के लिए ही तीन मोड़े लेने पड़ते हैं

    • जैसे सातवीं पृथ्वी के नीचे अधोलोक के धरातल के निष्कुट क्षेत्र से यदि लोक के ऊपर के निष्कुट क्षेत्र में जन्म लेना है तो सीधी अनुश्रेणी नहीं बनती

      1. पहले मोड़े में जीव त्रस नाड़ी में आकर उसके ऊपर जायेगा

      2. फिर वह उस क्षेत्र के पास जाने के लिए एक मोड़ा लेगा

      3. और अंतिम मोड़े में वह त्रस नाड़ी से बाहर निकल कर निष्कुट स्थान तक पहुँचेगा


  1. इस सिद्धांत को जानकर कम से कम जैन लोगों को इस मिथ्या धारणा से दूर रहना चाहिए कि मरने के बाद आत्मा भटकती है

  2. हमने जाना कि विग्रह या मोड़े से रहित गति को अविग्रहगति कहते हैं

    • यह संसारी और मुक्त दोनों जीवों के होती है

    • और एक समय वाली होती है



  1. जीव कर्म से मुक्त होकर जब सिद्ध शिला में जाता है तब उसकी अविग्रहगति होती है

  2. इसी प्रकार जब संसारी जीव भी एक जन्म को छोड़कर बिल्कुल श्रेणी में ही दूसरा जन्म लेता है तो उसकी भी अविग्रहगति होती है

  3. इस एक समय में जीव और पुद्गल परमाणु 14 राजू तक तय कर सकते हैं