श्री तत्त्वार्थ सूत्र Class 25

सूत्र - 28,29,30

Description

भरत और ऐरावत क्षेत्र के अलावा बाकी सभी क्षेत्र अवस्थित होते हैं अवस्थित मतलब हमेशा वहाँ पर जो काल रहता है, वह एक जैसा ही रहता है। क्षेत्रों के नाम से ही वहाँ रहने वाले जीवों को जाना जाता हैभरत क्षेत्र में काल व्यवस्था और जीवों की आयु का कालविदेह क्षेत्र की दक्षिण दिशा के क्षेत्रों की भूमियों और जीवों की आयु का वर्णनजम्बूद्वीप के भोगभूमियों की साम्यता का वर्णन

Sutra

ताभ्यामपरा भूमयोऽवस्थिता: ॥3.28॥

एकद्वित्रिपल्योपमस्थितयो हैमवतकहारिवर्षक दैवकुरवका:।l3.29।l

तथोत्तरा: ॥3.30॥

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WINNERS

Day 25

03th November, 2022

शशि टोंग्या जैन

भोपाल

WIINNER- 1

Rekha Jain

Ghaziabad

WINNER-2

रजनी विमलचंदजी

जटाले ,मलकापूर

WINNER-3

Sawal (Quiz Question)

हैमवत क्षेत्र में रहने वाले जीव क्या कहलायेंगे?

हैमवतीय

हैमवर्तक

हैमवतक*

हैमवता

Abhyas (Practice Paper):

https://forms.gle/46vCzAHpno2YxbDc8

Summary

1.सूत्र अठ्ठाईस - ताभ्यामपरा भूमयोऽवस्थिता: में हमने जाना कि जम्बूद्वीप में भरत और ऐरावत के अलावा सभी क्षेत्र अवस्थित होते हैं

    • यानि वहाँ पर काल का परिवर्तन नहीं होता

    • इन भूमियों में जो काल है, जैसी व्यवस्था है, वह व्यवस्था एक जैसी ही बनी रहती है

  1. यानि हैमवत, हरि, विदेह और उत्तर में हैरण्‍यवत और रम्यक क्षेत्र में अवस्थित व्यवस्था होगी

    • पूर्व और पश्चिम विदेह की कर्मभूमियाँ भी अवस्थित हैं

    • और उत्तर कुरू और देव कुरू की भोगभूमियाँ भी

    • वहाँ पर उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी काल नहीं होते हैं

    • सुखमा-दुखमा, दुखमा-सुखमा, सुखमा-सुखमा, दुखमा आदि छ: काल का variation नहीं होता


  1. सूत्र उन्नतीस एकद्वित्रिपल्योपमस्थितयो हैमवतकहारिवर्षक दैवकुरवका: में हमने इन भूमियों के निवासियों की आयु जानी

    • जैसे भरत क्षेत्र में रहने वाले भारतीय कहलाते हैं ऐसे ही

    • हैमवत में रहने वाले हैमवतक

    • हरिवर्ष क्षेत्र में रहने वाले हारिवर्षक

    • देव कुरू में रहने वाले देव कुरूवक कहलाएँगे

  2. सूत्र तीस तथोत्तरा: से हमने जाना कि जम्बूद्वीप के उत्तर दिशा में भूमियों की व्यवस्था, दक्षिण दिशा की व्यवस्था के तुल्य है


  1. हमने पहले जाना था कि भरत क्षेत्र में अनवस्थित व्यवस्था है

    • और अभी यहाँ अवसर्पिणी काल है

    • यहाँ उत्तम भोगभूमि चार कोड़ा कोड़ी सागर की होती है

    • और यहाँ रहने वाली जीवों की आयु तीन पल्य होती है

    • मध्यम भोगभूमि - तीन कोड़ा कोड़ी सागर की

    • और जीवों की आयु दो पल्य

    • और जघन्य भोगभूमि - दो कोड़ा कोड़ी सागर की

    • और जीवों की आयु एक पल्य होती है

  2. यही जघन्य भोगभूमि, कर्मभूमि में परिवर्तित हो जाती है


  1. चूँकि भरत और ऐरावत के अलावा सभी भूमियाँ अवस्थित हैं उनकी कोई आयु नहीं है

  2. हमने इनमें रहने वाले मनुष्य और तिर्यंचों की आयु और भोगभूमि का प्रकार जाना

    • हैमवतक की आयु एक पल्य होती है और वहाँ जघन्‍य भोगभूमि होती है

    • हारिवर्षक की आयु दो पल्य और मध्यम भोगभूमि

    • और देवकुरुक की आयु तीन पल्य होती है और वहाँ उत्तम भोगभूमि होती है

  3. हमने जाना कि पल्‍य की आयु भोग भूमि के अलावा और किन्‍हीं जीवों की नहीं होती है


  1. विदेह क्षेत्र के उत्तर की व्यवस्था में

    • उत्तर कुरू में देवकुरु के समान उत्तम भोगभूमि और तीन पल्य की आयु होती है

    • रम्यक में हरि क्षेत्र के समान मध्यम भोगभूमि और दो पल्य की आयु

    • और हैरण्‍यवत में हैमवत के समान जघन्य भोगभूमि और एक पल्य की आयु होती है


  1. इस तरह जम्बूद्वीप में कुल छ: अवस्थित भोगभूमियाँ हैं